अरब जगत का पहला परमाणु संयंत्र

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बीते सौ सालों से दुनिया में ऊर्जा और राजनीति का केंद्र तेल रहा है. अब तेल से लबालब अरब जगत परमाणु उर्जा की तरफ बढ़ चला है. संयुक्त अरब अमीरात में पहला परमाणु बिजली घर शुरू हो रहा है.


सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात ने बताया कि उसने बाराकाह न्यूक्लियर पावर प्लांट के चार रिएक्टरों में से एक के लिए लाइसेंस जारी कर दिया है. यह परमाणु संयंत्र देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में योगदान करेगा. हालांकि देश के पास तेल का विशाल भंडार है लेकिन वह दोबारा इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा के स्रोतों में भारी निवेश कर रहा है.

करीब 22.4 अरब डॉलर की लागत से बना बाराकाह प्लांट आबू धाबी के पश्चिम में खाड़ी के तट पर है. इसे कोरिया इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन के नेतृत्व में एक कंसोर्टियम बना रहा है. पूरी तरह चालू होने के बाद संयंत्र के चार रिएक्टरों से 5,600 मेगावाट बिजली पैदा होगी. यह संयुक्त अरब अमीरात की एक चौथाई बिजली की जरूरत पूरी कर सकता है.

आबू धाबी के अधिकारियों ने जनवरी में बताया कि अगले कुछ महीनों में प्लांट चालू हो जाएगा. सोमवार को इसकी तारीखों के बारे में तो कुछ नहीं कहा गया लेकिन अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के यूएई प्रतिनिधि का कहना है कि यह जल्दी ही शुरू हो जाएगा. यह परमाणु संयंत्र पूरे अरब जगत में पहला है. पड़ोसी देश सऊदी अरब ने भी घोषणा की है कि वह 16 परमाणु रिएक्टर बनवाएगा लेकिन अभी इस पर काम शुरू नहीं हुआ है.

यूएई के सात अमीरातों में करीब एक करोड़ की आबादी है. इनमें ज्यादातर लोग विदेशी हैं. कांच की दीवारों वाली गगनचुंबी इमारतों का यह देश ऊर्जा का भूखा है. खासतौर से गर्मियों में यहां के एयर कंडिशन संयंत्रों के लिए बिजली की भारी जरूरत होती है.

तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक में चौथा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश तेल के एक विशाल भंडार पर बैठा है और हाल ही में यहां गैस के भी एक बहुत बड़े भंडार की खोज हुई है. तेल से भरापूरा होने के बावजूद यूएई ने हाल के वर्षों में दोबारा इस्तेमाल होने वाले उर्जा के संसाधनों पर काफी निवेश किया है. कोशिश इस बात की है कि 2050 तक यह अपनी ऊर्जा जरूरतों का आधा इन्हीं संसाधनों से पूरा कर ले.

यूएई को उम्मीद है कि सस्ती बिजली पैदा करने से उसका दर्जा क्षेत्रीय स्तर पर ऊंचा हो जाएगा और उसका प्रभाव यमन, अफ्रीका के इलाकों और लीबिया तक बढ़ जाएगा. खाड़ी देशों पर नजर रखने वाले एक विश्लेषक ने कहा, “यह यूएई की ऊर्जा अर्थव्यवस्था को विविध रूपों में बांटने की कोशिश का हिस्सा है, इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटेगी और यह विज्ञान और तकनीक के मामले में खुद को एक क्षेत्रीय नेता की तरह पेश कर सकेगा.”

 

यूएई की दूसरी बड़ी परियोजनाओं में एक अंतरिक्ष कार्यक्रम भी है. इसके तहत पहले अमिराती अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने और साथ ही मंगल ग्रह के लिए एक खोजी रोबोट भेजने की योजना है. बाराकाह संयंत्र का पहला रिएक्टर 2017 में ही चालू हो जाना था लेकिन नियम कायदों का पालन करने के लिए इसे कई बार टालना पड़ा. दिसंबर में एमिरेट्स न्यूक्लियर इनर्जी कॉर्प ने घोषणा की कि रिएक्टर में पहला ईंधन 2020 की पहली तिमाही में लोड किया जाएगा.

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