सीबीएसई ने 10वीं के गणित के बुनियादी और मानक स्तरों का तुलनात्मक अध्ययन करने का फैसला किया है। इसका उद्देश्य छात्रों के प्रदर्शन गलतियों और सीखने की कमियों को उजागर करना है। इसके लिए एक पांच सदस्यीय समिति गठित की जाएगी। बोर्ड कौशल विषयों के लिए एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) भी बनाएगा जो सामग्री को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा के अनुरूप ढालने में मदद करेगी।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 10वीं की गणित के बेसिक और स्टैंडर्ड स्तर का तुलनात्मक अध्ययन कराने का फैसला किया है।
इस अध्ययन में छात्रों के प्रदर्शन ट्रेंड, क्षेत्रीय और जनसांख्यिकीय पैटर्न, सामान्य गलतियां और सीखने की खामियां सामने लाई जाएंगी। इसके लिए पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी, जिसे CBSE के शोधकर्मी और डेटा विश्लेषक सहयोग देंगे।
गणित विषय के ये दोनों स्तर वर्ष 2019-20 में इस उद्देश्य से शुरू किए गए थे कि छात्रों पर परीक्षा का दबाव कम हो और उन्हें अपनी क्षमता के अनुसार अलग-अलग विकल्प मिल सकें।
अब सीबीएसई छात्रों के प्रदर्शन का गहराई से अध्ययन करेगा, ताकि यह समझा जा सके कि दोनों स्तरों पर बच्चों की उपलब्धियां और चुनौतियां क्या हैं। बैठक में यह भी सुझाव आया कि अनुभवी गणित शिक्षक व विषय विशेषज्ञ दोनों स्तरों के प्रश्न पत्रों की ब्लाइंड-रिव्यू करें।
इसके अलावा एंकर आइटम्स यानी साझा प्रश्न शामिल किए जाएं, ताकि बेसिक और स्टैंडर्ड स्तर के छात्रों की तुलना समान आधार पर हो सके। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि विभिन्न स्तरों पर बच्चे समान कठिनाई वाले सवालों को कैसे हल कर रहे हैं।
कौशल विषयों के लिए तैयार होगी पीएमयू
वहीं, बोर्ड ने कौशल विषयों और माॅड्यूल्स की सामग्री को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा–स्कूली शिक्षा (एनसीएफ-एसई) के अनुरूप ढालने के लिए बोर्ड में एक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) बनाई जाएगी।
बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक एनसीएफ-एसई को समय पर और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री उपलब्ध कराना बेहद जरूरी है।
शुरुआत में यह विचार था कि किसी बाहरी एजेंसी को यह जिम्मेदारी दी जाए। चूंकि कंटेंट निर्माण का काम पहले से ही एनसीईआरटी कर रहा है, इसलिए तय हुआ कि किसी बाहरी एजेंसी की बजाय बोर्ड के अंदर ही प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) बनाई जाए।
यह यूनिट लर्निंग आउटकम से सामग्री का मैपिंग करने, नीतियों के क्रियान्वयन की निगरानी और दस्तावेजीकरण में मदद करेगी।