न्यूयॉर्क में जन्मजात सिफलिस (Congenital Syphilis) के कारण तीन नवजात शिशुओं की मौत हो गई है। पिछले तीन सालों में इसके मामले बढ़े हैं। यह बीमारी गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे में फैलती है। समय पर इलाज से इसे रोका जा सकता है। सिफलिस का इलाज एंटीबायोटिक्स से संभव है।
इस साल न्यूयॉर्क में जन्मजात सिफलिस (Congenital Syphilis) के कारण तीन नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी है। जिसे रोका जा सकता था। इस साल राज्य के बाहर के काउंटियों में जन्मजात सिफलिस के 21 मामले सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि इसके मामले पिछले तीन सालों में बढ़े हैं। ये एक ऐसी बीमारी है जिसे सही समय पर इलाज देकर रोका जा सकता है।
इलाज न मिलने पर इससे मौत हो सकती है। जबसे इस बीमारी के बारे में लोगों ने सुना है, हर कोई इसके बारे में जानना चाह रहा है। आज का हमारा लेख भी इसी विषय पर है। हम आपको बताएंगे कि ये बीमारी क्या है, इसके लक्षण और कारणों के बारे में भी विस्तार से जानकारी देंगे। आइए जानते हैं-
क्या है ये बीमारी?
जब प्रेग्नेंट महिला सिफलिस से संक्रमित होती है और संक्रमण गर्भ में या डिलीवरी के समय बच्चे तक पहुंचता है, तो उसे जन्मजात सिफलिस यानी कि Congenital Syphilis कहते हैं। अच्छी बात तो ये है कि सिफलिस का इलाज एंटीबायोटिक्स से किया जा सकता है, और प्रेग्नेंसी में इलाज कराने से बच्चे को भी बचाया जा सकता है। अगर इलाज न कराया जाए, तो ये संक्रमण मिस्कैरेज का कारण बन सकता है। साथ ही बच्चे मरे हुए पैदा हो सकते हैं। कुछ मामलों में बच्चे जिंदा तो रहते हैं, लेकिन उनकी सेहत ठीक नहीं रहती है।
कितने तरह की होती है ये बीमारी?
प्रारंभिक (Early Congenital Syphilis): इसके लक्षण जन्म के तुरंत बाद से लेकर 2 साल की उम्र से पहले दिखाई देते हैं।
देर से (Late Congenital Syphilis): इसके लक्षण दो साल की उम्र के बाद दिखाई देते हैं।
शुरुआती लक्षण (जन्म से 2 साल तक)
- हड्डियों की समस्याएं
- लिवर और स्प्लीन का बढ़ना
- पीलिया
- खून की कमी
- स्किन पर लाल चकत्ते पड़ना
- नाक से लगातार पानी या खून आना
- मस्से जैसी गांठ
- गर्दन, मुंह और हाथ-पैर पर दाने
दो साल के बाद नजर आने वाले लक्षण
- हड्डियों की असामान्य तरीके से बढ़ना
- आंखों की बीमारी (कॉर्निया में सूजन)
- सुनने में कमी
- दांतों में गैप या कटी-फटी शक्ल (Hutchinson’s teeth)
क्या हैं कारण?
ये बीमारी ट्रेपोनेमा पैलिडम (Treponema pallidum) नाम के बैक्टीरिया से होती है। ये बैक्टीरिया गर्भनाल यानी कि placenta से होकर सीधे बच्चे के खून में पहुंच जाता है और पूरे शरीर में फैलकर अंगों और हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है। कुछ मामलों में संक्रमण डिलीवरी के दौरान भी हो सकता है, लेकिन ये कम होता है।