बारिश के मौसम में सर्पदंश और जहरीले जंतुओं के काटने के खतरे बढ़ गये हैं।इन जंतुओं की बिलों और आश्रय स्थलों में पानी भरने से जहरीले जंतु बाहर विचरण कर रहे हैं। सर्पदंश की घटनाओं से बचाव हेतु अपर जिलाधिकारी अर्पित गुप्ता ने एडवायजरी जारी की है।
उन्होने बताया है कि भारत में लगभग 270 से अधिक सांपों की प्रजातियॉ पायी जाती है जिनमें से केवल कुछ ही जहरीले होते है। भारत में ‘‘बिग फोर’’ जहरीले सांपों को सबसे खतरनाक माना जाता है। उन्होने करैत सर्प के सम्बन्ध में बताया है कि रंग चमकदार, काला या नीला, सफेद पतली धारियॉ है। इसके काटने पर बहुत हल्का दर्द या बिल्कुल दर्द नहीं होता है लेकिन जहर बहुत तेजी से असर करता है। मांसपेशियों में लकवा, सांस लेने में दिक्कत होती है।
सर्प कोबरा का रंग काला, भूरा या पीला होता है, फन फैलाने पर पीछे ‘ओम’ या ‘चश्मा’ जैसा निशान होता है, इसके काटने से तेज दर्द, सूजन, उल्टी, सांस रूकना, मांसपेशियों में कमजोरी होती है। यह दिन और रात दोनो में सक्रिय होता है। सर्प रसेल वाइपर का रंग पीले-भूरे रंग पर गहरे गोल निशान होता है, इसके काटने से तेज दर्द, सूजन, रक्तस्राव, उल्टी, गुर्दे फेल हो सकते है। यह खासकर दिन में खेतो में सक्रिय होता है। सॉ-स्केल्ड वाइपर का रंग भूरा या ग्रे, जिगजैग पैटर्न का होता है, इसके काटने से बहुत दर्द, सूजन, खून जमने की समस्या, आंतरिक रक्तस्राव होता है, इसका सक्रिय समय रात में है।
उन्होने सांप काटने के लक्षण के सम्बन्ध में दो छेद जैसे निशान, सूजन व दर्द, उल्टी, चक्कर, बेहोशी, सांस लेने में कठिनाई, खून जमने में दिक्कत (ब्लीडिंग) व लकवा या शरीर का सुन्न हो जाता है। सर्पदंश से बचाव के सम्बन्ध में बताया है कि रात में खुले में न सोएं, चारपाई का प्रयोग करें। घर के आस पास झाड़ियों और घास की सफाई रखे, खेत या जंगल में जूते और फुल पैन्ट पहनें। रात में टॉर्च/लालटेन लेकर चले। विशेषकर बारिश में दरवाजे और खिड़कियॉ बंद रखें। चूहों की सफाई करें क्योंकि सांप चूहों को खाने आते है।
सांप काटने पर प्राथमिक उपचार के सम्बन्ध में बताया है कि व्यक्ति को शांत रखें ताकि जहर तेजी से न फैले। काटे गये अंग को हिलने न दें स्थिर रखें। काटा स्थान धोयें (साफ पानी या साबुन से)। व्यक्ति को सीधा अस्पताल ले जाये। अगर हो सके तो सांप का रंग/आकार याद रखें पर पकड़ने की कोशिश न करें। झाड़-फूंक या देसी इलाज में समय न गवायें, काटे अंग को चाकू से काटना, चूसना या बांधना हानिकारक है।
पीड़ित को चलाना या दौड़ाना नहीं चाहिये। इलाज और एंटीवेनम के सम्बन्ध में बताया है कि भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पतालों में पॉलीवैलेंट एंटी-स्नेक वेनम (एएसवी) उपलब्ध है जो ‘‘बिग फोर’’ सांपों के जहर पर काम करता है। जितना जल्दी एंटीवेनम दिया जाये, उतनी ही ज्यादा बचने की सम्भावना है। महत्वपूर्ण नम्बरों जैसे-एम्बुलेन्स-108/102, आपातकालीन सहायता-112, अन्य आवश्यक सहायता हेतु 1077, स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र/पीएचसी/सीएचसी से सम्पर्क करें।