कला साधकों ने चित्रण किया मैथिली का शुक-प्रेम

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पेन्टिंग विद् आयल कलर्स विशिष्ट कला शिविर में सीख रहे है तैल चित्र कौशल एवं बारीकियां

ललितपुर। सिद्धन रोड स्थित कला भवन में कलाविद् ओमप्रकाश बिरथरे द्वारा आयोजित विशिष्ट कला शिविर 25 मई से पेन्टिग विद् आयल कलर्स में कला साधक तैल कला कौशल एवं उसमें प्रयोग की जाने वाली विधा के बारीकियां सीख रहे है। आधुनिक काल में चित्रकला में वाटर कलर की अपेक्षा तैल चित्र बनाने का अत्यधिक प्रचलन बढ़ गया है, क्योंकि ये चित्र लम्बे तक मूल रूप में बने रहते हैं। व्यवसायिक कला में भी तैल चित्रण का प्रचुर मात्रा में प्रयोग होता है।

बिरथरे ने बताया कि उच्च स्तरीय शिविर वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है। इस निशुल्क शिक्षण में कला साधकों की रचनात्मक कल्पनाशीलता एवं कला प्रतिभा का अधिकतम उपयोग किया जाता है। शिविर में प्रथम चरण में जो कि किसी गम्भीर विषय पर चित्रण किया जाता, उसके अंतर्गत कला साधकों ने पौराणिक कथा के आधार पर मैथिली का शुक-प्रेम विषय पर तैल चित्र बनाये हैं। कला के दूसरे चरण में प्रकृति चित्रण पर विभिन्न तरह के प्रयोग किये गये हंैं। वर्तमान में बुन्देली लोककला के अंतर्गत लोक विषय अगवानी पर कार्य चल रहा है, जो कि समापन के पूर्व पूर्ण हो जायेगा। मैथिली का शुक-प्रेम सीताजी के बचपन की एक कथा पर आधारित है।

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