बावरपारा सरकारी स्कूल में बिजली कनेक्शन का खेल, बिना मीटर के दो साल से आ रहा बिल

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गौर, बस्ती। जिले के विकास खण्ड गौर के ग्राम पंचायत बावरपारा में बिजली कंपनी की लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना रवैये का एक और नमूना सामने आया है। यहां स्थित सरकारी प्राथमिक स्कूल में न तो बिजली का कनेक्शन है, न खंभा है और न ही मीटर लगा है, फिर भी पिछले दो साल से बिजली कंपनी द्वारा स्कूल को बिजली बिल थमाया जा रहा है। इस अजीबोगरीब स्थिति से स्कूल के शिक्षक और स्थानीय लोग हैरान हैं, वहीं बच्चों को भीषण गर्मी में बिना बिजली के पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ रहा है। बावरपारा गांव में पहुंचने के लिए न तो कोई पक्की सड़क है और न ही बिजली की कोई व्यवस्था। सरकारी स्कूल भवन के आसपास बिजली का कोई ढांचा मौजूद नहीं है। स्कूल में बिजली उपकरण के नाम पर एक बल्ब तक नहीं लगा है। इसके बावजूद बिजली कंपनी हर महीने नियमित रूप से बिल भेज रही है, जिसमें आंकलित खपत (Estimated Consumption) भी दर्ज की जा रही है।

स्कूल के शिक्षक उमा शंकर त्रिपाठी ने बताया कि करीब दो साल पहले जब पहली बार बिल आया तो उन्हें आश्चर्य हुआ। शुरू में इसे नजरअंदाज किया गया, लेकिन जब हर महीने बिल आने लगा तो उन्होंने बिजली विभाग में शिकायत दर्ज की। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई और बिल आना जारी रहा। उमा शंकर त्रिपाठी ने कहा, “जब कोई कनेक्शन ही नहीं है, तो बिल किस आधार पर दिया जा रहा है, यह समझ से परे है। हमने कई बार अधिकारियों से बात की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।” वहीं, बावरपारा के प्रधान प्रतिनिधि शमीम अहमद ने भी इस मामले पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “यहां बिजली का कोई इंतजाम नहीं है। स्कूल में बच्चे गर्मी में परेशान रहते हैं।

समझ नहीं आता कि बिना कनेक्शन के बिल कैसे बनाया जा रहा है। यह बिजली विभाग की घोर लापरवाही है।” मामला यहीं खत्म नहीं होता। जानकारी के अनुसार, लगभग दो साल पहले बेसिक शिक्षा विभाग ने बावरपारा सरकारी स्कूल के लिए बिजली कनेक्शन हेतु 3,08,524 रुपये की धनराशि बिजली विभाग को जमा की थी। कागजों में यह कनेक्शन स्वीकृत भी दिखाया गया है, लेकिन धरातल पर स्थिति जस की तस है। न तो स्कूल में बिजली का तार पहुंचा और न ही कोई मीटर लगा। इस फंड के बावजूद कनेक्शन न मिलने से स्थानीय लोग और शिक्षक बिजली विभाग के रवैये से बेहद नाराज हैं।बिजली की कमी का सबसे ज्यादा असर स्कूल के नौनिहाल बच्चों पर पड़ रहा है।

गर्मियों में भीषण गर्मी के बीच बिना पंखे और रोशनी के पढ़ाई करना उनके लिए चुनौती बना हुआ है। शिक्षकों का कहना है कि बिजली न होने से बच्चों की सेहत और पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रही हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकारी स्कूलों की उपेक्षा के चलते गांव के बच्चे शिक्षा के मामले में पिछड़ रहे हैं। इस मामले में बिजली विभाग के अधिकारियों से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल सका है। शिकायतों के बावजूद विभाग की ओर से न तो बिल भेजना बंद किया गया और न ही कनेक्शन देने की दिशा में कोई कदम उठाया गया।

ग्रामीणों और शिक्षकों का कहना है कि यह विभाग की लापरवाही और गैरजिम्मेदारी का जीता-जागता सबूत है। बावरपारा के निवासियों और स्कूल स्टाफ ने जिला प्रशासन और बिजली विभाग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि स्कूल में बिजली कनेक्शन उपलब्ध कराया जाए और बिना कनेक्शन के भेजे जा रहे बिलों को तुरंत रद्द किया जाए। साथ ही, जमा किए गए सरकारी फंड का हिसाब भी मांगा जा रहा है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब बिजली विभाग की लापरवाही सामने आई हो। सरकारी स्कूलों में बिजली कनेक्शन की समस्या उत्तर प्रदेश के कई जिलों में देखी जा रही है। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में यह मुद्दा बच्चों की शिक्षा को प्रभावित कर रहा है। बावरपारा का यह случай इस बात का प्रमाण है कि कागजी कार्रवाई और वास्तविकता में कितना बड़ा अंतर हो सकता है।

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