सुल्तानपुर।नगर के शाहगंज स्थित मरकज मस्जिद में 14रमजान को तराबीह में सुनाया जा रहा कुरआन मुकम्मल (पूर्ण)खत्म हुआ। इस मौके पर रोजेदारों ने रो – रो कर अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगी और देश में अमन शांति कायम रहने की दुआएं की।
रमजान महीने का चांद देखने के बाद ईशा नमाज के बाद अतिरिक्त 20 रकअत तराबीह नमाज में दो दो रकअत तराबीह नमाज में इमाम कुरआन की तिलावत करते है ,पीछे खड़े मुक्तदी नमाज़ी कुरआन को ध्यान से सुनते है।
यह अमल करने की कोशिश हर मुसलमान करता है।तरावीह की नमाज पढ़ने कुरआन सुनने का सिलसिला पूरे रमजान महीने मस्जिदों मदरसों में चलता है।बहुत से लोग जिनके पास सहूलियत होती है अपने घर में हाफिज ए कुरआन को बुलाकर कुरआन मुकम्मल करते है।मरकज मस्जिद में मौलाना मुहम्मद उसामा कासमी ने अदा कराई।कुरआन में 30 पारे (अध्याय)होते है।चांद रात के दिन से प्रतिदिन दो पारे सुना रहे थे।जो 14 रोजा को कुरआन मुकम्मल (पूर्ण)हुआ।अब ईद का चांद देखने तक छोटी तरावीह अलम तरा अदा की जाएगी।
कुरआन मुकम्मल होने पर जहां एक तरफ नमाजियों में जोश उत्साह रहता है वहीं दूसरी ओर दुख भी होता है कि अब एक साल बाद पुनः किसको यह सौभाग्य प्राप्त होगा किसको नहीं होगा इसलिए रो- रो कर अल्लाह की बारगाह में गुनाहों की माफी के लिए गिड़गिड़ाते है।मौलाना ने तमाम इंसानों की परेशानियों को दूर करने ,बीमारियों से स्वास्थ लाभ मिलने ,बेरोजगार लोगों के रोजगार अता करने जो दुनिया से परलोक चले गए उनके मगफिरत की दुआ तथा देश में अमन शांति कायम रहने की दुआ कराई नमाजियों ने हर दुआ पर आमीन कहा ।इस मौके पर पेश इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान कासमी,मुअज्जिन शकील अहमद,निजाम खान,फिरोज अहमद,जरगाम अहमद, मुहम्मद उमर फ़ैज़ खान,सलीम नेता ,हामिद राईन, अलकमा , इकरमा, शादान,इमरान मालिक, नोमान, रिजवान आदि सैकड़ों लोग मौजूद रहे।