गोरखपुर । शहर के बीच में स्थित घोषकम्पनी चौराहे के पास की भूमि पर अतिक्रमण हटाने के दौरान गाड़ी खाने वाली पुरानी मस्जिद को रात के अंधेरे में ध्वस्त कर दिया था जबकि मस्जिद का मामला कोर्ट में विचाराधीन था।
इस बीच नगर निगम ने अतिक्रमण से मुक्त कराई गई भूमि के लिये एक बिल्डर से समझौता कर लिया लेकिन मामला किन शर्तों पर तय हुआ यह अभी भी रहस्य है।
इसके बाद हो हल्ला मचने के बाद नगर निगम ने मस्जिद के एवज में उसी आराजी के दक्षिण में जमीन उपलब्ध करा दिया।
जहां चार मंजिला मस्जिद अबु हुरैरा बन कर तैयार हुई। बाद में उस मस्जिद पर जीडीए ने 15 फरवरी 2025 को मस्जिद के ध्वस्तीकरण की नोटिस जारी कर दिया।
इसके मामले में मस्जिद कमेटी ने मण्डलायुक्त कोर्ट में अपील किया जहाँ 3 मार्च को अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित है।
वहीं शुक्रवार की शाम घोष कम्पनी स्थित मस्जिद अबु हुरैरा पर जीडीए द्वारा कार्यवाही की समय सीमा समाप्त होने से पहले गोरखपुर के मुस्लिम बुद्धजीवियों के एक दल ने जिलाधिकारी से मुलाक़ात कर जीडीए की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग किया।
जहां पर कुछ शर्तों पर सहमति की बाद सामने आई।
आपको बताते चले कि जीडीए द्वारा दी गई समय सीमा 2 मार्च को समाप्त हो रही है। जिलाधिकारी से मिलने वाले प्रतिनिधि मंडल में इमाम शाही जामा मस्जिद गोरखपुर, इमाम संगी मस्जिद मुफ़्ती मुनीर, मुफ़्ती उज़ैफ़ा, मुफ़्ती दाऊद, मुफ़्ती हिफ्ज़ुर्र्रह्मान, डॉ अज़ीज़ अहमद, चौधरी कैफुलवरा, ज़फर अमीन डक्कू, इस्लाम, तौकीर आलम, शहाब अंसारी, आलम आदि लोग शामिल थे।
हलांकि बाद में मस्जिद बचाने वाली मुहिम से सपा के कद्दावर मुस्लिम नेता ज़फ़र आमोन डक्कू ने फेसबुक पर डेलिगेशन के साथ जाने की खबर का खंडन करते हुए पोस्ट डाल कर मस्जिद की मुहिम से खुद को अलग कर लिया। साथ ही यह भी बताया कि चार महीने पहले वाली स्थिति पर सहमति बनी है।
बहरहाल आज समय सीमा समाप्त होने से पहले ही मस्जिद कमेटी ने मस्जिद की छत को हटाने की कार्यवाही शुरू कर एक बार फिर यह सन्देश दे दिया कि ये बुद्ध की धरती है, यह बाबा गोरक्षनाथ और रौशन अलीशाह की धरती है यह कबीर की धरती है, जहां से हमेशा पूरी दुनिया को अमन और इंसानियत का पैग़ाम दिया गया है।