जेल से छूटे बन्दी ने नाम न छापने की शर्त पर जेल मे मिलने वाली सुविधाओं के बारे मे बताया सच

0
40

अम्बेडकरनगर जेलों की हालत किसी से छिपी नहीं है। जेल में हर सुख सुविधा मुहैया होती है बस उसकी रेट लिस्ट फिक्स है। जेलों में हालात बद से बदतर हैं ये सभी जानते हैं। क्षमता से अधिक बंदी जेलों में हैं। यही हाल अम्बेडकरनगर की जिला जेल का भी है। जेल में बंदियों को सारी सुविधाएं मुहैया होती है। बंदियों द्वारा बताया जाता है कि जिला जेल में बंदियों को सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। जेल में मोबाइल और कैमरा ले जाने की अनुमति नहीं है। लेकिन, एक बंदी ने जो आंखों देखा हाल जो बताया वो हैरान करने वाला था। मीडिया टीम ने जेल के हालातों की बारीकी से पड़ताल करने के लिए जब सुरागकसी की तो नाम और पहचान गुप्त रखने की शर्त पर एक बंदी ने जानकारी दी।बंदी के मुताबिक सप्ताह में जब नॉनवेज खाने का मन होता है, उपलब्ध करा दिया जाता है। जेल से मोबाइल फोन से बात करने के एवज में कूपन के रूप में भुगतान करना पड़ता है।जेल में बंदी जब आता है तो मशक्कत के नाम पर उसकी रसीद काट दी जाती है। मशक्कत के नाम पर अच्छी खासी रकम ऐंठ ली जाती है। इसके बाद शुरू होता है बैरक से लेकर खाने, पीने, कपड़े आदि का सिलसिला। बंदी के मुताबिक जब भी जेल में परिजन मिलने आते हैं तो कमाई शुरू हो जाती है।

मिलाई के दौरान जो भी सामान परिजन बंदियों को देकर जाते हैं। उसका कुछ हिस्सा जेल के सिपाहियों द्वारा रख लिया जाता है। वहीं यदि परिजन पैसे देकर जाते हैं तो कमीशन के नाम पर उनसे पैसे ले लिए जाते हैं। जब भी चेकिंग की जाती है तो कभी भी बंदियों के सामान में रुपये पैसे नहीं मिलते हैं। ये रुपये वहां मौजूद सिपाहियों द्वारा रख लिए जाते हैंं। प्राप्त जानकारी के अनुसार मंथली मुलाकात पर अपराधी का अपराध व बेग्राउंड देख कर उसकी मुलाकात की कीमत तय की जाती है। साथ ही सामान व सुविधा की कीमत नगद या गिफ्ट्स की एवज में भी ली जाती है।धूम्रपान करने वालों के लिए भी विशेष सुविधाएं उपलब्ध हैं। जिला जेल में मिलने वाली सुविधाओं से अधिकारी भी वाकिफ हैं लेकिन, कबूलने को तैयार नहीं है।जबकि सूखा नाश जैसे चरस, गांजा, भांग पांच गुना तक महंगे रहते हैं।

गुटका, पाऊच तीस से पचास रुपए तक अंदर मिल सकता है। यही स्थिति सिगरेट की है। इसके अलावा कुछ ऐसी मेडिकल की दवाई जो इलाज के लिए उपयोग में आती हैं, कैदी उन्हें नशे के रूप में करते है। जैसे नाइट्रावेट, क्लोजटू फोकसिवन के साथ ही सर्दी खांसी के सीरप जैसे कोरेक्स, बेनएड्रिल इन्हें बाजार कीमत से तीन गुना कीमत पर मिलती है। इसके अलावा खाने की सामग्री के पैसे तो कम ही लगते हैं, मगर यह सामग्री कैदी के पास जाते-जाते आधी हो जाती है। जबकि मियादी कैदियों से उनके मनपसंद काम के एवज में ली जाती हैं मोटी रकम। पुराने कैदियों का कहना है कि जेल में हर कैदी को कुछ विशेष तरह की सुविधा मिलती है।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here