राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग के अपहरण और दुष्कर्म के बाद शादी करने से जुडे मामले में पति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि हालांकि यह मामला बाल विवाह व पॉक्सो कानून से जुडा है, लेकिन अदालत को पक्षकारों की इच्छा, बच्चे के भविष्य और उसके अधिकारों का भी ध्यान रखना होगा। ऐसे में याचिकाकर्ता के खिलाफ कोटा के कुन्हाडी पुलिस थाने में 13 मई 2024 को दर्ज एफआईआर और उसके तहत होने वाली कार्रवाई को रद्द किया जाता है। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश प्रार्थी पति व अन्य की आपराधिक याचिका को स्वीकार करते हुए दिए। वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता को कहा कि वह पीड़िता व उसकी बेटी के नाम ढाई-ढाई लाख रुपए की एफडी कराए और हर माह दोनों के खाते में दस-दस हजार रुपये जमा कराए। अदालत ने एफडी होने पर जेल में बंद पति को रिहा करने के लिए कहा है।
याचिका में कहा कि उसने व पीड़िता ने 2020 में शादी की थी। इससे 2022 में उनके एक बेटी हुई। शादी से चार साल बाद उसकी सास ने 13 मई 2024 को उसके खिलाफ पुलिस थाने में पीड़िता को लेकर अपहरण व दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई। वे दोनों ही खुशहाल जीवन जी रहे हैं और अब उनके एक संतान भी है। इसलिए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को खारिज की जाए। इसके विरोध में सरकार ने कहा कि यह पॉक्सो अपराध से जुडा मामला है। पीड़िता का जन्म एक जुलाई 2007 को हुआ था और घटना के समय वह नाबालिग थी। इसलिए एफआईआर को रद्द नहीं किया जाए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने एफआईआर को रद्द कर दिया है।