भारत अब हिंद महासागर क्षेत्र में एक पसंदीदा सुरक्षा साझेदार : रक्षा मंत्री

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नौसेना कमांडरों से अस्थिर वैश्विक परिदृश्य में हर स्थिति में तैयार रहने का आह्वान

आईओआर में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को भारतीय नौसेना के कमांडरों से आज के अस्थिर वैश्विक परिदृश्य में हर स्थिति के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत को अब हिंद महासागर क्षेत्र में एक पसंदीदा सुरक्षा साझेदार के रूप में देखा जा रहा है और नौसेना शांति एवं समृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। राजनाथ सिंह ने इस क्षेत्र को आर्थिक, भू-राजनीतिक, व्यापार और सुरक्षा पहलुओं की दृष्टि से मूल्यवान और संवेदनशील बताया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली के नौसेना भवन में कमांडरों के सम्मेलन में भाग लिया। सीडीएस जनरल अनिल चौहान और भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी भी मौजूद रहे। नौसेना कमांडरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी नौसेना ने हिंद-प्रशांत देशों के आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए हिंद महासागर क्षेत्र में माल की सुचारू आवाजाही में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। नौसेना के एंटी-पायरेसी ऑपरेशन न केवल भारत में, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सराहना बटोर रहे हैं। भारत को अब इस पूरे क्षेत्र में एक पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूप में देखा जाता है।

रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। उन्होंने आर्थिक, व्यापार, परिवहन और समग्र राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए एक मजबूत नौसैनिक क्षमता की आवश्यकता पर जोर दिया। राजनाथ सिंह ने दोहराया कि अत्याधुनिक जहाजों, पनडुब्बियों आदि को शामिल करके भारतीय नौसेना को और अधिक शक्तिशाली बनाया जाएगा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान में भारतीय शिपयार्ड में 64 जहाज और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं और 24 अतिरिक्त प्लेटफार्मों के लिए ऑर्डर दिए गए हैं। पिछले पांच वर्षों में नौसेना के आधुनिकीकरण बजट का दो तिहाई से अधिक हिस्सा स्वदेशी खरीद पर खर्च किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप घरेलू रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का विकास तेजी से हुआ है।

राजनाथ सिंह ने नौसेना के स्वदेशीकरण प्रयासों की सराहना करते हुए कमांडरों से ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने के संकल्प को और मजबूत करने के तरीके तलाशने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वास जताया कि नौसेना को ‘खरीदार’ से ‘निर्माता’ में बदलने का विजन इसे 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगा। राजनाथ सिंह ने कार्यक्रम के हिस्से के रूप में आयोजित एक टेक डेमो में भी भाग लिया। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल त्रिपाठी, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और अन्य वरिष्ठ नागरिक एवं सैन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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