शिक्षक नियुक्ति पर अभाविप करती रही विरोध, डॉ. दुबे को छोड़कर सबके लिफाफे खुले

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जांच रिपोर्ट सार्वजनिक न करने का लगाया आरोप,कुलसचिव बोले- सब कुछ पारदर्शी

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में चल रही शिक्षक नियुक्ति पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते रोज पूरे दिन चले हाई वोल्टेज ड्रामे के बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर नियुक्तियों में भ्रष्टाचार व गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। परिषद के कार्यकर्ताओं ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति की जांच के लिए जो कमेटी बनाई गई थी उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। नियमों की अनदेखी कर नियुक्ति की जा रही है। यहां परिषद के कार्यकर्ता धरने पर बैठे रहे, उधर महज 10 मिनट की कार्य परिषद की बैठक में एक को छोड़कर सारे लिफाफे खोल दिए गए। वहीं अंतर्यामी कुलसचिव प्रोफेसर पद के बंद लिफाफे में डॉ. दुबे का नाम बताते नजर आए।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की कानपुर प्रांत की प्रांत मंत्री शिवाराजे बुंदेला ने आरोप लगाया कि चार महीने पहले विश्वविद्यालय को यह ज्ञापन दिया गया था कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया की जांच करवाई जाए। विश्वविद्यालय ने जो कमेटी बनाई उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। इसके साथ ही कुछ भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को भी नियुक्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रोफेसर पद का नहीं खुला लिफाफा

इस मामले में विश्वविद्यालय के कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया के लिए जांच कमेटी बनाई गई थी। जांच कमेटी की रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट हो गई है कि प्रक्रिया पूरी तरह सही थी। एक प्रोफेसर के खिलाफ विद्यार्थी परिषद ने आरोप लगाया था। उनकी नियुक्ति को रोक दिया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग की डॉ. दुबे पर हिमाचल प्रदेश में मुकदमा दर्ज है। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए ही इस लिफाफे को रोका गया है।

अन्तर्यामी कुलसचिव ने बताया बंद लिफाफे में प्रोफेसर का नाम

इस पूरे प्रकरण में चौंकाने वाली बात यह रही कि जब कुलसचिव मीडिया से पूरी बेबाकी से कह रहे थे कि एक महिला शिक्षिका की प्रोफेसर पद पर नियुक्ति रोक दी गई है। उन्होंने यहां तक बताया कि जिस प्रोफेसर की नियुक्ति रोकी गई है वह शिक्षा विभाग की कोई डॉक्टर दुबे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनके ऊपर हिमाचल प्रदेश में मुकदमा चल रहा है। सवाल यह उठता है कि जब लिफाफे में चुने गए कैंडीडेट का नाम गोपनीय रखा जाता है, तो अंतर्यामी कुलसचिव को कैसे पता था कि उसमें महिला शिक्षिका डॉक्टर दुबे का ही नाम लिखा हुआ है ?

गणित विषय की प्रक्रिया नहीं किया पूरा

यह भी आरोप लगाया गया था कि गणित विषय के इंटरव्यू के लिए प्रक्रिया ही पूरा नहीं किया गया था। उसमें तीन के स्थान पर महज दो एक्सपर्ट ही आए थे। एक भोपाल से कम्प्यूटर साइंस व दूसरे राजस्थान के जोकि सांख्यकीय के थे। बावजूद इसके साक्षात्कार पारदर्शी तरीके से कैसे हो गया ? इसको लेकर कुछ प्रोफेसर ने आपत्ति भी जताई थी।

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