बांग्लादेश में रक्तरंजित अराजक माहौल में शेख हसीना को सत्ता से बाहर करने के बाद कुख्यात लोगों को जेल से बाहर किया जाने लगा है। ऐसा ही एक व्यक्ति इस्लामी छात्र शिबिर कैडर का नसीरुद्दीन है। वह 26 साल से सलाखों के पीछे था। 59 वर्षीय नसीरुद्दीन को कैडल के लोग शिबिर नासिर के नाम से बुलाते हैं। उसे जेल से रिहा कर दिया गया है। राजधानी से छपने वाले समाचार पत्र ढाका ट्रिब्यून कहा है कि चटगांव सेंट्रल जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक मुहम्मद मंजुर हुसैन ने पुष्टि की कि उन्हें रविवार शाम सात बजे चटगांव सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया। उन्होंने कहा, “नसीरुद्दीन पर दो मामले लंबित थे। इन मामलों के लिए जमानत दस्तावेज अदालत में जमा करने और समीक्षा करने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।”
अखबार के अनुसार, नसीरुद्दीन के खिलाफ 36 मामले रहे हैं। इनमें बहुचर्चित प्रिंसिपल गोपाल कृष्ण मुहुरी हत्याकांड, हथजारी का तिहरा हत्याकांड और चटगांव पॉलिटेक्निक का जमीलुद्दीन हत्याकांड प्रमुख है। इनमें से 31 मामलों में वह बरी हो चुका था।
ढाका ट्रिब्यून के अनुसार 1990 के दशक में नसीरुद्दीन पूरे चटगांव में आतंक का पर्याय और इस्लामी छात्र शिबिर की राजनीति में प्रभावशाली चेहरा रहा है। 1997 में चटगांव के चौक बाजार इलाके में हुई मुठभेड़ में उसने पुलिस को नाको चने चबवाए थे। अप्रैल 1998 में पुलिस ने उसे चटगांव कॉलेज के एक छात्रावास से गिरफ्तार किया था।