उत्तराखंड की केदारघाटी में 31 जुलाई को आई आपदा के बाद अब तक एक हजार से अधिक फंसे हुए घोड़ों-खच्चरों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इसके अतिरिक्त 3 हजार से अधिक घोड़ों-खच्चरों को चारा उपलब्ध कराया गया है। पशु क्रूरता निवारण समिति और पीपल फाॅर एनिमल्स उत्तराखंड फंसे हुए घोड़े और जानवरों को निकालने के लिए संबंधित विभागों के साथ मिलकर प्रयासरत है।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि अतिवृष्टि के कारण आपातकालीन स्थिति के बाद अब तक नागरिकों तथा पशु कल्याण संगठनों की मदद से हजारों पशुओं की जान बचाई जा चुकी है। पीपल फॉर एनिमल्स उत्तराखंड द्वारा वर्ष 2013 की भांति यात्रा मार्ग में फंसे हुए पशुओं को अविमुक्त करने के कार्य में सराहनीय सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि केदारघाटी में आपातकालीन निकासी के लिए हजारों यात्रियों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से सुरक्षित निकाला गया। मार्ग में कई घोड़े फंसे हुए हैं। जंगलचट्टी और लिनचोली जैसे स्थानों पर टूटे हुए मार्ग के कारण घोड़ों को उन स्थानों से निकलने में दिक्कत आ रही है। पशुपालन विभाग ने पशु क्रूरता निवारण समिति और पीपल फाॅर एनिमल्स उत्तराखंड के साथ मिलकर उक्त स्थानों पर भोजन-चारा की व्यवस्था की है, जिससे सड़कों के साफ होने तक पशुओं को पर्याप्त भोजन उपलब्ध हो सके।
उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि के बाद भीमबली पुलिस चौकी पर चौकी प्रभारी यशपाल रावत के सहयोग से रामबाड़ा में नदी पार पुराने रास्ते की ओर फंसे हुए घोड़ों को पीपल फाॅर एनिमल्स की रेस्क्यू टीम की ओर से सफलता पूर्वक रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर लाया गया है। इन जानवरों के मालिकों से संपर्क करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि वे केदारनाथ यात्रा मार्ग में अपने घोड़ों का संचालन पुनः कर सकें और साथ ही उन्हें जंगल के रास्ते से सुरक्षित स्थान पर ले जा सकें।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि केदारनाथ के दूसरे हिस्से में फंसे पशुओं को बचाव दल की ओर से समीप ही बुग्याल की ओर ले जाया जा रहा है, जहां उन्हें उनके मालिकों के आने तक अथवा सड़क साफ होने तक पर्याप्त भोजन मिल सकेगा। इसके साथ ही सभी घायल घोड़ों को पशुपालन विभाग और पीएफए की संयुक्त टीम की ओर से चिकित्सा सहायता भी प्रदान की जा रही है। किसी भी स्थान पर घोड़ों के फंसे होने की सूचना उपलब्ध कराने के लिए हेल्पलाइन नंबर-8445356388 जारी किया गया है।