मध्यप्रदेश भू अभिलेख नियमावली के अनुसार फसल उपार्जन, फसल बीमा आदि योजनाओं में सतत रूप से वर्ष में तीन बार की जाने वाली फसल गिरदावरी कार्य की जिम्मेदारी अब जिले के युवाओं को दी जाएगी। जिला प्रशासन द्वारा इस हेतु प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
अपर कलेक्टर एस.एस. मुजाल्दा ने गुरुवार को बताया कि फसलों की मध्यप्रदेश भू अभिलेख नियमावली के अनुसार फसल गिरदावरी कार्य वर्ष में तीन बार खरीफ रबी एवं जायद मौसम हेतु किया जाता है, जिसका उपयोग फसल उपार्जन, फसल बीमा आदि योजनाओं में सतत रूप से किया जाता है। राज्य शासन द्वारा दिए गए दिशा निर्देशानुसार जिले में फसलों की गिरदावरी के लिए अब उसी गांव के युवाओं को जोड़ा जाकर उन्हें फसल गिरदावरी कार्य की जिम्मेदारी देकर इस कार्य में सहयोगी बनाया जाएगा। इस हेतु प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, और इच्छुक युवाओं से आनलाइन आवेदन मांगे गए हैं। उक्त कार्य के लिए संबंधित ग्राम एवं निकटतम ग्राम पंचायत के स्थानीय युवकों का चयन किया जाएगा।
अपर कलेक्टर के अनुसार फसल गिरदावरी कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए भारत सरकार द्वारा डिजिटल क्राप सर्वे का कार्य प्रारंभ किया गया है। यह प्रत्येक मौसम के लिए लगभग 45 दिन की कार्रवाई होती है। जिसमें जिओ फेंस (पार्सल लेवल) तकनीक के माध्यम से खेत में बोई गई फसल का फोटो खींचकर फसल सर्वेक्षण का कार्य नियत अंतराल में पूर्ण किया जाता है।