आम जन- मानस के लिए चिकित्सा की व्यवस्थाओं को अत्यधिक सुचारू किया जाएगा: डा0सलिल श्रीवास्तव,प्राचार्य

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अवधनामा संवाददाता
सुल्तानपुर।स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज में चल रहे पुरुष विभाग के ओपीडी, पैथोलॉजी,गहन चिकित्सा कक्ष, ऑपरेशन थिएटर एवं साफ सफाई व्यवस्था का प्राचार्य डा0सलिल श्रीवास्तव ने निरीक्षण करते हुए कहा कि  चिकित्सालय में आम जनमानस को मिलने वाली सुविधाओं का विस्तार जल्द से जल्द किया जाएगा। जो भी अवस्थाएं हैं,उसको हम चिकित्सकों एवं अधीक्षक के साथ बैठकर दूर करेंगे।गहन चिकित्सा कक्ष शुरू हो गया है। बहुत जल्द 100 बेड का क्रिटिकल केयर यूनिट व  आकस्मिक कक्ष परिसर में बनकर तैयार होगा,जिससे आकस्मिक सेवा में और सुधार होगा। ओपीडी में हो रही मरीजों की समस्याओं के संबंध में प्राचार्य ने कहा कि चिकित्सकों की कमी नहीं है। ओपीडी में आए हुए किसी भी तरह के मरीजों को कोई समस्या ना हो, इसका हम लोग विशेष ध्यान रख रहे हैं। निरीक्षण के दौरान ओपीडी में मरीज बाहर से दवाइयां ला रहे थे,जिस पर प्राचार्य ने एस आर को खरी खोटी सुनाते हुए स्पष्टीकरण देने की बात कहते हुए चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि अगर सुधार  नहीं हुआ तो बाहर का रास्ता  देखने के लिए आप लोग तैयार रहे।ऑर्थो विभाग  की  समस्या दूर होने का नाम ही नहीं ले रही है। चिकित्सक और मरीज  थे,लेकिन बिना रसीद काटे ही मरीज को प्लास्टर लग रहा था और उस मरीज से  पैसा भी ले लिया गया था। वहां पर उपस्थित फार्मासिस्ट को चेतावनी देते हुए हिसाब किताब लेकर उपस्थित होने के लिए कहा। आईसीयू वार्ड में कार्य कर रही स्टाफ नर्सो को भर्ती मरीजों के साथ अच्छे व्यवहार करने का निर्देश दिया। चिकित्सालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं को सुधारने के क्रम में उन्हे काफी मस्कत करना पड़ेगा। मेडिकल कॉलेज तो हो गया है,लेकिन अभी यहां पर तैनात चिकित्सक अपनी कार्यशैली को बदलने के लिए तैयार नहीं है, जिससे आए दिन मरीजों को निजी चिकित्सालयों की शरण में जाना पड़ता है।  आए दिन चिकित्सको और तीमारदारों में गाली गलौज होती रहती है।यही नहीं कई बार तो  एफ आई आर भी दर्ज हो चुकी है।  जिला चिकित्सालय  पुरुष  एव  महिला से अधिकतर मरीज रेफर कर दिया जाते हैं, यही नहीं मरीज भर्ती रहते हैं,प्राथमिक उपचार के बाद मेडिकल कॉलेज में तैनात चिकित्सकों के अपने निजी चिकित्सालय में भेज दिए जाते हैं। क्योंकि मरीज को समुचित उपचार नहीं मिल पाता है और वहीं चिकित्सक अपने चिकित्सालय में मरीजों को संतुष्ट करके इलाज करते हैं।  ऑक्सीजन प्लांट तो लगे हैं, लेकिन ऑक्सीजन के लिए मरीजों को बाहर जाना पड़ता है।खासकर के छोटे बच्चों को आखिर इतने बड़े ऑक्सीजन प्लांट के लगने के बावजूद भी स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के परिजनों को ऑक्सीजन न होने की बात कह कर बाहर के अस्पतालों  व  लखनऊ रेफर कर दिया जाता है।
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