अवधानामा जिला संवाददाता हिफजुर्रहमान ।
हमीरपुर : निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूलों में निर्धारित सीटों पर प्री-प्राइमरी व कक्षा एक में होता है। शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिये प्रवेश प्रक्रिया चार चरणों में होनी है जिस का तीसरा चरण चल रहा है। सरकार आरटीई योजना के अन्तर्गत अधिक से अधिक बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए भरपूर प्रयास कर रही है लेकिन अधिकारीयों की लापरवाही से सरकारी योजनाओं का लाभ समय से गरीबों को नही मिल पाता है इस की नजीर
जनपद हमीरपुर का शिक्षा विभाग है जहाँ 333 स्कूलों में से मात्र दस स्कूलों में ही आरटीई योजना के अन्तर्गत प्री-प्राईमरी में प्रवेश के लिए सीट आवंटित हैं शेष स्कूलों में प्री-प्राईमरी में प्रवेश हेतु शिक्षा विभाग द्वारा मैपिंग ही नही करवाई गयी जिस वजह से प्री-प्राईमरी में बच्चे प्रवेश पानें से वंचित है। अभिभावकों द्वारा बताया गया कि जब आनलाईन प्रवेश फार्म भरते है तो प्री-प्राईमरी के लिए सीटें फुल लिख कर आता है। मैपिंग न करवाने में सब से बड़ी लापरवाही मौदहा ब्लॉक में सामने आई है जहाँ पूरे ब्लाक में एक भी प्राईवेट स्कूल में प्री-प्राईमरी की सीटें उपलब्ध नहीं है। यदी हम सुमेरपुर ब्लाक की बात करें तो यहाँ भी मात्र एक स्कूल में ही प्री-प्राईमरी की सीट उपलब्ध है।सरीला नगर पंचायत में एक स्कूल, हमीरपुर नगरपालिका परिषद में दो स्कूलों में, कुरारा में पांच स्कूलों में तथा मुस्करा में एक स्कूलों में प्री-प्राईमरी के लिए सीटें आवंटित है जब कि जनपद भर में 333 स्कूल सरकारी वेबसाइट में दिख रहें जिन में मात्र 10 स्कूलों में ही प्री-प्राईमरी में प्रवेश हेतु सीटे उपलब्ध हैं। इस सम्बन्ध में शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को भी कोई जानकारी नही हैं। ऐसे में उन गरीब अभिभावकों का क्या होगा जो आरटीई के अन्तर्गत अपनें नौनिहालों का प्रवेश किसी प्राईवेट स्कूल में करवाना चाहते है क्योंकि वर्तमान समय में जनपद में तीसरे चरण की प्रवेश प्रक्रिया जारी है जो 8 मई तक चलेगी इस के पश्चात अन्तिम चरण चलेगा यदि उस से पहले कुछ सुधार होपाता है तो मासूमों का एक वर्ष बर्बाद होनें से बच सकेगा।अभिभावकों का कहना है कि इस घोर लापरवाही के लिये आखिर जिम्मेदार कौन है क्या दोषियों के विरुद्ध विभाग कठोर कारवाई करेगा या फिर इस भयानक गलती को भी एक दूसरे पर दोषारोपण कर के पल्ला झाड़ लिया जाएगा। सरकार को चाहिए कि कोई भी योजना को लागू करनें से पहले सम्बन्धित विभाग व अधिकारियों का प्रशिक्षण व उन की जवाबदेही तैर कर दे जिस से सरकार की योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों को मिल सके।
इस सम्बन्ध में जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अलोक कुमार सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शीघ्र ही मैपिंग सही कर ली जाएगी। लेकिन सच्चाई यह है कि मैपिंग का कार्य जनवरी माह में ही पूरा कर लिया जाता है और सेशन के मध्य मैपिंग नही होती लेकिन अधिकारी का कहना है तो देखना होगा कि मैपिंग चौथे चरण की प्रक्रिया से पूर्व यदि होजाती है तो बच्चों का वर्ष बर्बाद होनें से बच जाऐगा। अन्यथा गरीबों के बच्चों का बड़ा नुकसान होजाऐगा सरकारी विभाग और अधिकारियों का क्या वह तो सन और तारीख बदलते ही इधर-उधर हस्तांतरित कर दिये जाते है और जो नये अधिकारी आते है वह कमियों का सारा ठेकरा पहले वालों के सर डाल कर अपना पल्ला झाड़ लेते है क्योंकि किसी सकारी कर्मचारी या अधिकारी का कोई नुकसान थोड़ा होता है नुकसान तो देश की जनता का होता है।