अवधनामा संवाददाता
कैथवलिया रेहरा में चल रहे श्री सतचण्डी महायज्ञ एंव श्री मद भागवत कथा की अमृत वर्षा के चौथे दिन भक्त प्रहलाद की कथा व श्री राम कथा तथा श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया
डुमरियागंज सिद्धार्थनगर। कैथवलिया रेहरा में चल रहे श्री सतचण्डी महायज्ञ एंव श्री मद भागवत कथा की अमृत वर्षा के चौथे दिन कथा व्यास स्वामी उत्तम कृष्ण शास्त्री महराज श्री अयोध्या धाम ने शनिवार को ध्रुव, प्रहलाद और भगवान श्री रामचंद्र जी के पावन चरित्र का वर्णन करते हुए भक्तजनों को कथा का रसपान कराया।
उन्होंने कहा कि माता-पिता के संस्कारों से ही बालक का भविष्य संवरता है। जिस प्रकार ध्रुव की सौतेली मां ने उनके साथ सौतेला व्यवहार किया। इसके कारण ध्रुव को बड़ा ही कष्ट हुआ, लेकिन उनकी अपनी माता सुनीति ने बालक ध्रुव को समझाते हुए कहा कि बेटा बड़ों की बात का बुरा नहीं मानते हैं। संसार से शिकायत करने से कोई लाभ नहीं मिलेगा। अच्छा तो यही है कि जीवन में जो कुछ भी सुख-दुख आता है उसे प्रभु का प्रसाद समझ कर स्वीकार कर लेना चाहिए। ध्रुव ने अपनी माता के वचन का पालन करते हुए संसार से शिकायत छोड़कर कर परमात्मा का ध्यान कर भगवत कृपा को प्राप्त किया। उन्होंने आगे वर्णन करते हुए कहा कि ऐसे ही भक्त प्रहलाद ने अपने परिवार जो उनके पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप ही उनके शत्रु बन गए थे और उन्हें नाना प्रकार का कष्ट देने लगे। फिर भी उन्होंने कोई शिकायत नहीं की। सीधे भगवान नारायण की ही भक्ति में लीन रहे और उन्हें भी भगवान की अनंत कृपा प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि स्वयं भगवान श्री रामचंद्र जी ने विरोधियों को किसी भी प्रकार से दोष न देकर कहा कि कोई किसी को सुख-दुख नहीं देता है। सभी अपने-अपने प्रारब्ध के अनुसार कर्म का फल भोगते हैं। मनुष्य को अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए केवल सेवा भाव से संसार में आचरण करना चाहिए। धन की शुद्धि, मन की शुद्धि, और कर्म की शुद्धि केवल सेवा से ही हो सकती है। सबके प्रति सेवा भाव से कर्म करने से परमात्मा प्रसन्न होते हैं और जब भगवान प्रसन्न होते हैं तो जीवन में आनंद का उत्साह प्रदान करते हैं। कथा के अंत में स्वामी उत्तम कृष्ण शास्त्री ने भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की भजनों से पंडाल में दिव्या आनंद उमड़ा। इस अवसर पर यज्ञाचार्य बिष्णु शरण शास्त्री,
वैदिक विद्वान अश्वनी, पं शिवांश, पं अभिषेक शास्त्री, पं आदेश शास्त्री, पं विनीत, पं रमेश, यजमान शिवप्रसाद निषाद, अनीता, दिवाकर, तारे, सुनील, प्रदीप, देवा, गरूण, राजेश, प्रिंसी, रामबहाल, बलराम, सूरज, रमेश निषाद, सरदीप आदि मौजूद रहे।