शेख हसीना पांचवीं बार बनेंगी पीएम

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ढाका। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने लगातार चौथा कार्यकाल हासिल कर लिया है। हालांकि, हसीना पांचवीं बार पीएम बनेंगी। रविवार को छिटपुट हिंसा और मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनालिस्ट पार्टी (बीएनपी) व उसके सहयोगियों के बहिष्कार के बीच हुए 12वें आम चुनावों में हसीना की पार्टी अवामी लीग ने 200 सीटों पर जीत हासिल कर दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया। विपक्षी जातीय पार्टी 10 और निर्दलीय 45 सीटों पर विजयी हुए हैं।

हसीना ने गोपालगंज-3 सीट से 1986 के बाद आठवीं बार जीत हासिल की। उन्हें 2,49,965 वोट मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी बांग्लादेश सुप्रीम पार्टी के उम्मीदवार एम. निजामुद्दीन लश्कर को सिर्फ 469 वोट ही प्राप्त हुए।

76 वर्षीय हसीना वर्ष 2009 से बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं और वह इस एकतरफ चुनाव में लगातार चौथी बार और कुल पांचवी बार कार्यकाल हासिल करने जा रही हैं। 300 सदस्यों वाली संसद की 299 सीटों पर रविवार को मतदान हुआ।

एक उम्मीदवार की मृत्यु के कारण एक सीट पर मतदान स्थगित कर दिया गया। इन चुनावों में 27 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया जिनमें विपक्षी जातीय पार्टी भी शामिल है। जातीय पार्टी के अलावा चुनाव में हिस्सा लेने वाली बाकी पार्टियां अवामी लीग के गठबंधन की सदस्य हैं।

जातीय पार्टी के अध्यक्ष जीएम कादर रंगपुर-3 सीट से विजयी हुए हैं। अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर ने दावा किया कि लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के बहिष्कार को नकार दिया।

शुरुआती अनुमानों के मुताबिक, चुनावों में लगभग 40 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, लेकिन ये आंकड़े गिनती पूरी होने तक बदल सकते हैं। 2018 के आम चुनावों में 80 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था।

चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि हिंसा की कुछ छिटपुट घटनाओं को छोड़कर चुनाव अधिकांशत: शांतिपूर्ण रहा। एक पुलिस अधिकारी को धमकाने के कारण चुनाव आयोग ने उत्तरपूर्वी चट्टोग्राम में अवामी लीग के एक प्रत्याशी की उम्मीदवारी रद कर दी।

एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि यूक्रेन और जर्मनी के हैकरों द्वारा किए गए साइबर हमले की वजह से रविवार को बांग्लादेश चुनाव आयोग का एप धीमा हो गया और उसने समुचित रूप से काम नहीं किया।

मतदान का प्रतिशत कम रहने का कारण नजरबंद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी और 15 अन्य दलों द्वारा चुनाव बहिष्कार को माना जा रहा है। उन्होंने लोगों से चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया था। उनका आरोप था कि वर्तमान सरकार के तहत निष्पक्ष एवं विश्वसनीय चुनाव नहीं कराए जा सकते।

78 वर्षीय खालिदा जिया भ्रष्टाचार के दोष में नजरबंद हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बीएनपी ने 2014 के चुनावों का भी बहिष्कार किया था। इस बीच, बीएनपी ने आम चुनावों को फर्जी बताते हुए कहा कि वह मंगलवार से शांतिपूर्ण सार्वजनिक भागीदारी कार्यक्रम के माध्यम से अपने सरकार विरोधी आंदोलन को तेज करने की योजना बना रही है।

बीएनपी के बहिष्कार के बीच हुए चुनाव की स्वीकार्यता से जुड़े सवाल पर हसीना ने कहा, ‘मेरे लिए महत्वपूर्ण यह है कि लोग इस चुनाव को स्वीकार करते हैं या नहीं। इसलिए मैं उनकी (विदेशी मीडिया) स्वीकार्यता की परवाह नहीं करती। इससे फर्क नहीं पड़ता कि आतंकी पार्टी ने क्या कहा या नहीं कहा।’

उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश के यह आम चुनाव 100 से ज्यादा पर्यवेक्षकों की निगरानी में हुए, जिनमें से तीन भारत के थे। देश के पूर्व चुनाव आयुक्त ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) सखावत हुसैन ने कहा, ‘यह अनोखा चुनाव है.. चुनाव के नतीजे निश्चित हैं, हर कोई जानता है कि कौन जीतने वाला है। एकमात्र अनिश्चित बात यह है कि विपक्षी सीटों पर कौन होगा।’

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