शहर में सरकारी तंत्र में उपलब्ध हैं परिवार नियोजन की गुणवत्तापूर्ण सेवाएं

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अवधनामा संवाददाता

23 शहरी पीएचसी और 36 एचडब्ल्यूसी पर उपलब्ध अस्थायी सेवाओं की हुई समीक्षा

गोरखपुर । परिवार नियोजन की सभी स्थायी और अस्थायी सेवाएं शहरी क्षेत्र में ही सरकारी तंत्र के पास उपलब्ध हैं। जरूरत इस बात की है कि लोगों तक इन गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित हो । लोगों को बताया जाए कि परिवार नियोजन की स्थायी या अस्थायी सेवाएं उनके नजदीकी जगह पर कहां मिलेंगी । इस कार्य में आशा कार्यकर्ता और एएनएम की अहम भूमिका है । यह बातें अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी आरसीएच डॉ एके चौधरी ने 23 शहरी पीएचसी और 36 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी) पर उपलब्ध परिवार नियोजन की अस्थायी सेवाओं की समीक्षा बैठक के दौरान कहीं । बैठक का आयोजन स्वयंसेवी संस्था पीएसआई इंडिया के सहयोग से प्रेरणा श्री सभागार में गुरूवार को किया गया ।

बैठक के दौरान एसीएमओ आरसीएच ने इस बात पर जोर दिया कि नसबंदी, पीपीआईयूसीडी और पीएआईयूसीडी के इच्छुक व पात्र लाभार्थियों को जिला महिला अस्पताल, प्रकाश सर्जिकल और सूर्या क्लिनिक पर सरकारी प्रावधानों के तहत उपलब्ध सुविधा के बारे में जानकारी दी जाए । उन्होंने बताया कि सभी 23 शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर अस्थायी साधन कंडोम, माला एन, साप्ताहिक गोली छाया, त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन, इमर्जेंसी पिल्स और आईयूसीडी की सुविधा उपलब्ध है। शहरी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स (एचडब्ल्यूसी) पर कंडोम, माला एन और साप्ताहिक गोली छाया मौजूद है । योग्य दंपति को जागरूक किया जाए कि उन्हें यह साधन बाजार से खरीदने की आवश्यकता नहीं है । यह सभी चीजें सरकारी तंत्र से इन केंद्रों पर पहुंच कर ले सकते हैं ।

डॉ एके चौधरी ने कहा कि नियोजित परिवार का आशय है कि शादी के बाद पहला बच्चा कम से कम दो साल बाद ही प्लान किया जाए । ऐसे नव दंपति को आशा कार्यकर्ता शगुन किट के जरिये परिवार नियोजन के साधन उपलब्ध कराएं । गर्भावस्था के दौरान ही दंपति को प्रसव पश्चात परिवार नियोजन के मनपसंद साधन के लिए प्रेरित किया जाए । दो बच्चों में कम से कम तीन साल अंतर रखने के लिए प्रसव के पश्चात दंपति द्वारा साधन का चुनाव आवश्यक है । दंपति को समझाया जाए कि ऐसा करने से मां और बच्चे दोनों सुपोषित रहते हैं और पहले बच्चे का सम्पूर्ण विकास हो पाता है । जिन दंपति को दूसरा बच्चा होने वाला हो, उन्हें पहले से ही स्थायी साधन नसबंदी या दीर्घकालीन गर्भनिरोधन के साधन पीपीआईयूसीडी या आईयूसीडी के लिए तैयार करें।

बैठक को पीएसआई इंडिया संस्था की प्रतिनिधि कृति पाठक और शहरी स्वास्थ्य मिशन के समन्वयक सुरेश सिंह चौहान ने भी संबोधित किया । इस मौके पर मंडलीय स्वास्थ्य मिशन की समन्वयक डॉ प्रीति सिंह, क्वालिटी सहायक विजय श्रीवास्तव और संस्था की जिला प्रतिनिधि प्रियंका सिंह समेत सभी केंद्रों के चिकित्सा अधिकारी मौजूद रहे ।

डॉ चौधरी ने बताया कि शहरी क्षेत्र में इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त माह तक लाभार्थियों ने 2.94 लाख कंडोम, 6140 साप्ताहिक गोली छाया, 9859 माला एन, 3433 आईयूसीडी, 3429 डोज त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन और 5973 इमर्जेंसी पिल्स का इस्तेमाल किया है । अभी तक 134 महिलाओं ने सरकारी प्रावधानों के तहत नसबंदी की सुविधा प्राप्त की है।

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