नई दिल्ली। दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन नाम से योजना चल तो 2015 से रही है, लेकिन धरातल पर इसकी सफलता और प्रभाव को देखते हुए मोदी सरकार इसे गति का नया ‘गियर’ देने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) ने स्वतंत्रता दिवस पर दो करोड़ लखपति दीदी बनाने की घोषणा की थी।
उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक के बाद बुधवार को कैबिनेट की बैठक में भी इस लक्ष्य पर ही गंभीर चर्चा हुई, लेकिन ग्रामीण विकास मंत्रालय ने स्वयं सहायता समूहों की दस करोड़ महिला सदस्यों को लखपति बनाने के मिशन पर काम तेज कर दिया है।
लोकसभा चुनाव की तैयारी में विपक्ष द्वारा जाति की जो दरारें गहरी करने का प्रयास किया जा रहा है, उससे ऊपर पीएम मोदी का यह दांव महिला सशक्तिकरण के साथ करोड़ों महिलाओं के सहारे करोड़ों मतदाताओं का ठोस वोटबैंक बनाने का भी है।
आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा ग्रामीण महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा जा रहा है। बैंकों के माध्यम से इन समूहों की सदस्यों को कर्ज दिलाया जा रहा है। यह योजना की सफलता का पैमाना हो सकता है कि 1999 से 2015 तक अलग-अलग नामों से चली ग्रामीण महिलाओं की आजीविका की इस योजना के दायरे में मात्र 35 लाख महिलाएं ही थीं, जबकि 2015 में इसके नए नामकरण के साथ ही योजना का स्वरूप भी बदल गया।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की संख्या वर्तमान में लगभग दस करोड़ है और कांग्रेस शासनकाल में जो एनपीए 9.58 प्रतिशत था, वह घटकर दो प्रतिशत से भी नीचे आ गया है। इसी बीच मंत्रालय ने इन महिला सदस्यों की आय बढ़ाने के लिए समूहों को आय के नए स्त्रोतों से जोड़ा। महिलाओं को लखपति बनाने यानी प्रति माह न्यूनतम दस हजार रुपये आय की व्यवस्था पर काम शुरू किया।
इस योजना को लेकर संतुष्ट और आशान्वित प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार स्वत्रंता दिवस पर घोषणा कर दी कि देश में दो करोड़ लखपति दीदी बनाई जाएंगी। मंगलवार को उन्होंने उच्चस्तरीय बैठक में समीक्षा की और सूत्रों के अनुसार, बुधवार को कैबिनेट की बैठक में भी इस योजना की चर्चा करते हुए मंत्रियों और सांसदों से अपेक्षा जताई कि वह क्षेत्र में दौरे पर जाएं तो वहां के स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों से भी मिलें, समूहों को प्रोत्साहित करें, कोई समस्या हो तो समाधान कराएं।