रामनगरी की प्राचीन विरासत गणेशकुंड को मिली नई पहचान,पौराणिक कुंड की लौटी रौनक

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अवधनामा संवाददाता

अयोध्या। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का लक्ष्य अयोध्या को दुनिया की सुंदरतम नगरी बनाना है। इसके अनुरूप जल्द ही राम नगरी मे वर्षो से उपेक्षित पड़े पौराणिक गणेश कुंड की रौनक एक बार फिर से लौटने लगी है। यहां अब एक बार फिर से श्रद्धालुओं की भीड़ जुटाने लगी है। पौराणिक गणेश कुंड का वजूद मिटने की कगार पर था। किंतु विकास प्राधिकरण की पहल पर आज वही कुंड आस्था व पर्यटन का केंद्र बन चुका है। विकास प्राधिकरण द्वारा इस कुंड का करीब एक करोड़ की लागत से सुंदरीकरण कराया गया है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर इस कुंड पर पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटने लगी है।
वर्षों से वीरान पड़े रामनगरी की प्राचीन विरासत गणेशकुंड को एक नई पहचान मिली है। कुंड करीब एक बीघा भर में फैले गड्ढे के रूप में था, लेकिन अब यह आकर्षण का केंद्र बन चुका है। एडवर्ड तीर्थ विवेचनी सभा ने 1902 में रामनगरी की 84 कोस की परिधि में जिन पौराणिक स्थलों को चिह्नित किया था। उनमें गणेश कुंड भी था। यहां कुंड के किनारे लगा शिलापट कुण्ड की पौराणिकता की सत्यता को प्रमाणित कर रहा है।
ज्योतिषाचार्य पंडित कौशल्यानंदन ने बताया कि गणेश कुंड मणीपर्वत के दक्षिणभाग में स्थित हैं। अयोध्या का इतिहास विवेचित करते प्राचीन मणिपर्वत के दक्षिण गणेशकुंड का उल्लेख मिलता हैं। जहां पर माघ कृष्ण चतुर्थी को स्नान-पूजन का महत्व है। पूजन में ॐ नमः श्रीगणेशाय इस मंत्र का प्रयोग कर गणेश जी की स्तुति से मनोकामना पूरी होती है।
पौराणिक कुंडों का कराया जा रहा है सौंदर्यीकरण
नगर आयुक्त विशाल सिंह ने बताया कि अयोध्या को पौराणिक स्वरूप प्रदान करने में यहां के प्राचीन मंदिरों व कुण्डों का बड़ा महत्व है। इसे देखते हुए एक करोड़ की लागत से गणेश कुंड को उसके पौराणिक स्वरूप को लौटाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि यहां गणेश चतुर्थी के दिन गणेश कुंड पर पूजन महाआरती की नई परंपरा शुरू हुई है। स्थानीय लोगों की एक समिति का गठन किया गया है। समिति के द्वारा हर रोज गणेश कुंड पर महाआरती का आयोजन कराती है। अयोध्या की पहचान से जुड़े कुंडों की पहचान लौटाने का काम किया जा रहा है। सभी कुंडों का सुंदरीकरण कराकर वहां पूजन आरती की व्यवस्था कराई जाएगी।

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