Thursday, May 2, 2024
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आठवाँ वाणी फ़ाउंडेशन गणमान्य अनुवादक पुरस्कार संस्कृत से स्पेनिश भाषा के अनुवादक ऑस्कर पुजोल

नई दिल्ली । • वर्ष 2024 का आठवाँ वाणी फ़ाउंडेशन ‘गणमान्य अनुवादक पुरस्कार’ संस्कृत के प्रसिद्ध स्पेनिश विद्वान ऑस्कर पुजोल को अनुवाद के क्षेत्र में योगदान के लिए प्रदान किया जायेगा।
• इस पुरस्कार के सम्मानित निर्णायक मण्डल में नमिता गोखले (सह-निदेशक, जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल व साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका), अरुणव सिन्हा (अनुवादक व लेखक) और यतीन्द्र मिश्र (‘स्वर्ण कमल’ से सम्मानित कवि, लेखक एवं संगीत अध्येता) शामिल हैं।
• पुरस्कार समारोह 4 फ़रवरी, 2024 को दोपहर 1:00 बजे वार्षिक जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल (मुग़ल टेंट) 2024 में आयोजित किया जायेगा।
• संस्कृत, स्पेनिश और अंग्रेजी में पढ़ा जायेगा प्रशस्ति पत्र।
वाणी फ़ाउंडेशन और टीमवर्क आर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की ओर से प्रत्येक वर्ष जयपुर बुकमार्क (जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल) में ‘वाणी फाउंडेशन गणमान्य अनुवादक पुरस्कार’ प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम-से-कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। भारतीय और अन्तरराष्ट्रीय भाषाओं के बीच सीधे आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए पहल की कमी के आलोक में यह पुरस्कार आवश्यक समझा गया। यह पुरस्कार विशेष रूप से उन अनुवादकों का समर्थन करता है जिन्होंने एक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक संग्रह तैयार किया है। इसमें ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र के अलावा एक लाख भारतीय रुपये या समकक्ष मौद्रिक राशि प्रदान की जाती है। यह पुरस्कार 2024 में अपने 8वें संस्करण में है। इस पुरस्कार के सम्मानित निर्णायक मण्डल में नमिता गोखले (सह-निदेशक, जयपुर लिटरेचर फ़ेस्टिवल व साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका), अरुणव सिन्हा (अनुवादक व लेखक) और यतीन्द्र मिश्र (‘स्वर्ण कमल’ से सम्मानित कवि, लेखक एवं संगीत अध्येता) शामिल हैं।
पुरस्कार का अब तक का सफ़र:
• अत्तूर रवि वर्मा (2015-2016) : मलयालम
• अनामिका (2016-2017) भोजपुरी
• रीता कोठारी (2017-2018) : सिन्धी
• तेजी ग्रोवर (2018-2019) : हिन्दी
• रख्शंदा जलील (2019-2020) : उर्दू
• अरुणव सिन्हा (2021-2022) : बंगला
• डेज़ी रॉकवेल (2022-2023) : हिन्दी व उर्दू
इस सम्मान के तहत वर्ष 2016 का प्रथम ‘वाणी फ़ाउंडेशन गणमान्य अनुवादक पुरस्कार’ मलयालम कवि अत्तूर रवि वर्मा को मलयालम से तमिल अनुवाद के लिए प्रदान किया गया। वर्ष 2017 में यह पुरस्कार प्रख्यात अनुवादक, कवयित्री, लेखिका और आलोचक डॉ. अनामिका को भोजपुरी से हिन्दी अनुवाद के लिए दिया गया। वर्ष 2018 में सांस्कृतिक इतिहासज्ञ और अनुवादक डॉ. रीता कोठारी को सिन्धी से अंग्रेज़ी अनुवाद के लिए दिया गया और वर्ष 2019 में इस पुरस्कार से प्रख्यात कवि, कथाकार, अनुवादक और चित्रकार तेजी ग्रोवर को नवाज़ा गया। वर्ष 2020 में उर्दू से अनुवाद के लिए रख्शंदा जलील को पुरस्कृत किया गया। 2021 का पुरस्कार अनुवादक, लेखक और शिक्षाविद् अरुणव सिन्हा को बंगला से अंग्रेज़ी अनुवाद के लिए प्रदान किया गया। वर्ष 2023 में यह सम्मान डेज़ी रॉकवेल को वैश्विक साहित्यिक परिदृश्य में हिन्दी और उर्दू भाषा के प्रति योगदान के लिए पुरस्कृत किया गया। इस वर्ष यह सम्मान प्रसिद्ध स्पेनिश विद्वान ऑस्कर पुजोल को संस्कृत से स्पेनिश भाषा में अनुवाद के योगदान के लिए प्रदान किया जायेगा।
ऑस्कर पुजोल के बारे में
ऑस्कर पुजोल ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से संस्कृत में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और उनका भारत के साथ जीवन भर जुड़ाव रहा है। वह नयी दिल्ली और रियो डी जनेरियो के सर्वानतेस इंस्टीट्यूट के निदेशक और कासा एशिया के शैक्षिक कार्यक्रमों के निदेशक रहे हैं।
उनके द्वारा कई पुस्तकें लिखी गयी हैं, जिनमें संस्कृत और कैटलन भाषा का पहला शब्दकोश, संस्कृत और स्पेनिश भाषा का शब्दकोश, ल इल्यूसिओन फ़ेकुंडा शंकराचार्य के दर्शन और शास्त्रों पर आधारित स्पेनिश ग्रन्थ शामिल हैं। संस्कृत भाषा के प्रति उनके समर्पण के लिए उन्हें ‘कर्मयोगी’ और ‘भाषा प्रेमी’ के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
भगवद्गीता का उनका नवीनतम अनुवाद संस्कृत से स्पेनिश संस्करण ला भगवद्गीता के नाम से प्रकाशित हुआ है और बहुत सराहा जा रहा है ।
वाणी प्रकाशन ग्रुप के बारे में-
वाणी प्रकाशन ग्रुप पिछले 61 वर्षों से साहित्य की 32 से भी अधिक नवीनतम विधाओं में, बेहतरीन हिन्दी साहित्य का प्रकाशन कर रहा है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑडियो प्रारूप में 6,000 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की हैं तथा देश के 3,00,000 से भी अधिक गाँव, 2,800 क़स्बे, 54 मुख्य नगर और 12 मुख्य ऑनलाइन बुक स्टोर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने 1944 में स्थापित भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित प्रकाशन गृह ‘भारतीय ज्ञानपीठ’ के प्रकाशन कार्यक्रम को अपने ग्रुप में समाहित किया है। इसके साथ, वाणी प्रकाशन ग्रुप अब हिन्दी का सबसे बड़ा और विश्वस्तरीय प्रकाशन समूह है।
वाणी प्रकाशन ग्रुप, वाणी डिजिटल, वाणी बिज़नेस, वाणी बुक कम्पनी, वाणी पृथ्वी, नाइन बुक्स, वाणी प्रतियोगिता, युवा वाणी और ग़ैर-लाभकारी संस्था वाणी फ़ाउंडेशन के साथ प्रकाशन उद्योग में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
वाणी प्रकाशन ग्रुप भारत के प्रमुख पुस्तकालयों, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, ब्रिटेन और मध्य पूर्व, से भी जुड़ा हुआ है। वाणी प्रकाशन ग्रुप की सूची में, साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत 25 पुस्तकें और लेखक, हिन्दी में अनूदित 9 नोबेल पुरस्कार विजेता और 24 अन्य प्रमुख पुरस्कृत लेखक और पुस्तकें शामिल हैं। वाणी प्रकाशन ग्रुप को क्रमानुसार नेशनल लाइब्रेरी, स्वीडन, रशियन सेंटर ऑफ़ आर्ट एण्ड कल्चर तथा पोलिश सरकार द्वारा इंडो-पोलिश लिटरेरी के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध विकसित करने का गौरव प्राप्त है। वाणी प्रकाशन ग्रुप ने 2008 में ‘Federation of Indian Publishers Associations’ द्वारा प्रतिष्ठित ‘Distinguished Publisher Award’ भी प्राप्त किया है। सन् 2013 से 2017 तक केन्द्रीय साहित्य अकादेमी के 68 वर्षों के इतिहास में पहली बार श्री अरुण माहेश्वरी केन्द्रीय परिषद् की जनरल काउंसिल में देशभर के प्रकाशकों के प्रतिनिधि के रूप में चयनित किये गये।
लन्दन में भारतीय उच्चायुक्त द्वारा 25 मार्च 2017 को ‘वातायन सम्मान’ तथा 28 मार्च 2017 को वाणी प्रकाशन ग्रुप के प्रबन्ध निदेशक व वाणी फ़ाउंडेशन के चेयरमैन अरुण माहेश्वरी को ऑक्सफोर्ड बिज़नेस कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में ‘एक्सीलेंस इन बिज़नेस’ सम्मान से नवाज़ा गया। प्रकाशन की दुनिया में पहली बार हिन्दी प्रकाशन को इन दो पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। हिन्दी प्रकाशन के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना मानी जा रही है।
3 मई 2017 को नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘64वें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समारोह’ में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के कर-कमलों द्वारा ‘स्वर्ण-कमल-2016’ पुरस्कार प्रकाशक वाणी प्रकाशन ग्रुप को प्रदान किया गया। भारतीय परिदृश्य में प्रकाशन जगत की बदलती हुई ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने राजधानी के प्रमुख पुस्तक केन्द्र ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर के साथ सहयोग कर ‘लेखक से मिलिये’ के अन्तर्गत कई महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम-शृंखला का आयोजन किया और वर्ष 2014 से ‘हिन्दी महोत्सव’ का आयोजन सम्पन्न करता आ रहा है।
वर्ष 2017 में वाणी फ़ाउण्डेशन ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित इन्द्रप्रस्थ कॉलेज के साथ मिलकर हिन्दी महोत्सव का आयोजन किया व वर्ष 2018 में वाणी फ़ाउंडेशन, यू.के. हिन्दी समिति, वातायन और कृति यू. के. के सान्निध्य में हिन्दी महोत्सव ऑक्सफोर्ड, लन्दन और बर्मिंघम में आयोज़ित किया गया ।
‘किताबों की दुनिया’ में बदलती हुई पाठक वर्ग की भूमिका और दिलचस्पी को ध्यान में रखते हुए वाणी प्रकाशन ग्रुप ने अपनी 51वीं वर्षगाँठ पर ग़ैर-लाभकारी उपक्रम वाणी फ़ाउंडेशन की स्थापना की। फ़ाउंडेशन की स्थापना के मूल प्रेरणास्त्रोत सुहृदय साहित्यानुरागी और अध्यापक स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ हैं। स्व. डॉ. प्रेमचन्द्र ‘महेश’ ने वर्ष 1960 में वाणी प्रकाशन ग्रुप की स्थापना की। वाणी फ़ाउंडेशन का लोगो विख्यात चित्रकार सैयद हैदर रज़ा द्वारा बनाया गया है। मशहूर शायर और फ़िल्मकार गुलज़ार वाणी फ़ाउंडेशन के प्रेरणास्त्रोत हैं।
वाणी फ़ाउंडेशन भारतीय और विदेशी भाषा साहित्य के बीच व्यावहारिक आदान-प्रदान के लिए एक अभिनव मंच के रूप में सेवा करता है। साथ ही वाणी फ़ाउण्डेशन भारतीय कला, साहित्य तथा बाल-साहित्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय शोधवृत्तियाँ प्रदान करता है। वाणी फ़ाउण्डेशन का एक प्रमुख दायित्व है दुनिया में सर्वाधिक बोली जाने वाली तीसरी बड़ी भाषा हिन्दी को यूनेस्को भाषा सूची में शामिल कराने के लिए विश्वस्तरीय प्रयास करना।
वाणी फ़ाउंडेशन की ओर से विशिष्ट अनुवादक पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार भारतवर्ष के उन अनुवादकों को दिया जाता है जिन्होंने निरन्तर और कम-से-कम दो भारतीय भाषाओं के बीच साहित्यिक और भाषाई सम्बन्ध विकसित करने की दिशा में गुणात्मक योगदान दिया है। इस पुरस्कार की आवश्यकता इसलिए विशेष रूप से महसूस की जा रही थी क्योंकि वर्तमान स्थिति में दो भाषाओं के मध्य आदान-प्रदान को बढ़ावा देने वाले की स्थिति बहुत हाशिए पर है। इसका उद्देश्य एक ओर अनुवादकों को भारत के इतिहास के मध्य भाषिक और साहित्यिक सम्बन्धों के आदान-प्रदान की पहचान के लिए प्रेरित करना है, दूसरी ओर, भारत की सशक्त परम्परा को वर्तमान और भविष्य के साथ जोड़ने के लिए प्रेरित करना है।
वाणी फ़ाउंडेशन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है भारतीय भाषाओं से हिन्दी व अंग्रेजी में श्रेष्ठ अनुवाद का कार्यक्रम। इसके साथ ही इस न्यास के द्वारा प्रतिवर्ष डिस्टिंगविश्ड ट्रांसलेटर अवार्ड भी प्रदान किया जाता है जिसमें मानद पत्र और एक लाख रुपये की राशि अर्पित की जाती है। वर्ष 2023 का यह सम्मान डेज़ी रॉकवेल को वैश्विक साहित्यिक परिदृश्य में हिन्दी और उर्दू भाषा के प्रति योगदान के लिए प्रदान किया है।

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