नई दिल्ली। राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में 12 फरवरी (1 रजब) से शुरू हो रहें 809वें सालाना उर्स में शिरकत करने दिल्ली की हजरत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह से अजमेर शरीफ के लिए कलंदरों का पैदल जत्था निशानों के साथ रवाना हुआ है। यह जत्था चांद रात 12 फरवरी की शाम अजमेर दरगाह शरीफ में दिल्ली से लाए निशान (झंडे) को पेश करेगा।
जत्थे में शामिल सभी कलंदरों को कोरोना गाइडलाइन के नियमों की पालना के साथ लाया जा रहा है। हर साल परंपरागत तरीके से कलंदरों का जत्था दिल्ली से अजमेर आता है और अजमेर स्थित ऋषि घाटी पर गूदड़ी शाह बाबा के चिल्ले पर पड़ाव डालने के बाद चांद रात को अस्र की नमाज के समय जुलूस के रूप में करतब दिखाते हुए ख्वाजा साहब की दरगाह पहुंचकर छड़ी एवं निशान पेश करता है। यहां दरगाह का खादिम समुदाय इन कलंदरों की अगवानी करते हैं।
उल्लेखनीय है कि ख्वाजा गरीब नवाज के 809वें सालाना उर्स का झंडा आठ फरवरी को परंपरागत तरीके से भीलवाड़ा का गौरी परिवार चढ़ाएगा। उसके बाद रजब का चांद दिखाई देने पर विधिवत रूप से उर्स का आगाज होगा। जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर उर्स की धार्मिक रस्में कोरोना गाइडलाइन के अनुरूप आयोजित करने के निर्देशों के साथ दरगाह पक्षकारों से सहमति बनी है।