अवधनामा संवाददाता
सुल्तानपुर ।कहते हैं इस धरती पर अगर भगवान के बाद कोई इंसानों को बचाने वाला है तो वो हैं डॉक्टर्स। शायद इसीलिए डॉक्टर्स को भगवान का भी दर्जा दिया गया है। बीते कई दिनों से सुल्तानपुर के जूडूपुर गांव निवासी मोहम्मद अब्बास ब्रेन ट्यूमर की बीमारी से ग्रस्त थे। परिजनों ने सुल्तानपुर से लेकर राजधानी लखनऊ तक न जाने कितने बड़े-बड़े अस्पतालों में मोहम्मद को दिखाया, लेकिन बड़े से बड़े न्यूरोसर्जन ने भी इस केस को हाथ लगाने से साफ इनकार कर दिया। आखिर में थक हार कर वे लखनऊ के ठाकुरगंज स्थित फदक हॉस्पिटल पहुंचे। जहां उन्हें आखिरी उम्मीद दिखाई दे रही थी।
मरीज मोहम्मद अब्बास के चाचा छक्कन बताते हैं कि हम अपने भतीजे को लेकर बड़े से बड़े न्यूरोसर्जन के पास गए, लेकिन किसी ने हाथ लगाने से मना कर दिया तो किसी ने सीधा जवाब दे दिया। वो कहते हैं ना कि ‘जाको राखे साइयां, मार सके ना कोय’। हर जगह से जवाब मिलने के बाद वे फदक हॉस्पिटल पहुंचे। जहां उन्होंने हॉस्पिटल के संचालक डॉ. दायम रज़ा को सारी बात बताई। डॉ. दायम ने उन्हें आश्वासन दिया कि सब ठीक हो जाएगा। उसके बाद मरीज को एडमिट किया गया। मरीज के ऑपरेशन के लिए लखनऊ के जाने माने न्यूरोसर्जन डॉ. अनूप जयसवाल आए। मरीज का ऑपरेशन करीब 8 घंटे तक चला। 8 घंटे की सफल सर्जरी के बाद अगले एक घंटे में मरीज एक्टिव हो गया और वो रिस्पॉन्स करने लगा।
मरीज मोहम्मद अब्बास के पिता ने बताया कि एक समय हमें लगा कि हमने अपने बेटे को खो दिया, लेकिन हमें आज डॉ अनूप और डॉ. दायम के रूप में सचमुच एक फरिश्ता मिला है। इतने कम पैसों में मेरे बच्चे की इतनी बड़ी सर्जरी हो गई हम सोच भी नहीं सकते। उन्होंने चिकित्सकों और हॉस्पिटल के सभी स्टाफ को इसके लिए धन्यवाद दिया है। बता दें कि डॉक्टर दायम रज़ा सुल्तानपुर स्थित अलीगढ़ गांव के रहने वाले हैं और मौजूदा समय में लखनऊ के ठाकुरगंज में फदक हॉस्पिटल का संचालन कर रहे हैं।