अवधनामा ब्यूरो
नई दिल्ली. 26 जनवरी हिंसा मामले में गिरफ्तार हुए दो किसान 28 दिन जेल में गुज़ारने के बाद अपने गाँव में लौटे तो गाँव वालों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया. दोनों किसानों ने खुद पर फर्जी केस लगाने और मानसिक रूप से पुलिस द्वारा टार्चर करने का आरोप लगाया है.
किसानों मलकीत सिंह और गुरमीत सिंह की मानें तो पुलिस ने 29 जनवरी को उन्हें सिन्धु बार्डर से दो किलोमीटर दूर नरेला से गिरफ्तार किया था. उन्होंने बताया कि वह किसान आन्दोलन में लंगर सेवा कर रहे थे. पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर अलीपुर सदर थाने ले गई और उनसे आन्दोलन छोड़कर वापस घर लौट जाने और दोबारा वापस न आने को कहा. इस बात पर हम तैयार नहीं हुए तो विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर हमें तिहाड़ जेल भेज दिया.
जेल से 28 दिन बाद घर लौटे दोनों किसानों ने कहा कि सरकार दमन के ज़रिये किसानों के हौंसले तोड़ना चाहती है, लेकिन कृषि क़ानून वापस हुए बगैर किसानों का संघर्ष रुकने वाला नहीं है. किसान अपना हक़ लेकर रहेंगे इसमें कितना भी समय क्यों न लग जाए.
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गाँव के लोगों का कहना है कि केन्द्र सरकार किसानों पर ज़बरदस्ती कृषि क़ानून थोंपना चाहती है. वह किसानों को दबाकर पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है. किसानों ने कहा कि केन्द्र सरकार को आने वाले दिनों में अपनी हठधर्मिता का खामियाजा भुगतना पड़ेगा.