Saturday, May 4, 2024
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HomeEditorialफ़ैसला जिसके हक़ में आये उसे बड़े दिल का मुज़ाहरा करना चाहिये

फ़ैसला जिसके हक़ में आये उसे बड़े दिल का मुज़ाहरा करना चाहिये

वक़ार रिज़वी

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70 साल बाद आख़िर वह घड़ी आ ही गयी जिसका न सिर्फ़ 130 करोड़ भारतीयों को बल्कि पूरी दुनियां में रहने वाले भारत की सियासत में रूचि रखने वालों को होगा।
किसी भी भारतीय को जो देश के संविधान, देश के न्यायालय पर यक़ीन करता है उस पर आस्था रखता है वह आने वाले फ़ैसले पर किसी भी तरह की आपत्ति क्यों करेगा ? क्योंकि जो देश के संविधान एवं देश की न्यायालय पर आस्था और विश्वास रखकर उसका आदर नहीं करेगा, उसे सर्हष स्वीकर नहीं करेगा, भले ही वह उसके ख़िलाफ़ हो, वह कभी देशभक्त नहीं बल्कि देश द्रोही कहलायेगा। फिर इतनी सुरक्षा, इतना ख़ौफ़, इतनी अपीलें, न सिर्फ़ अयोध्या बंद बल्कि तीन दिन प्रदेश बंद ! आख़िर क्यों ? कहीं इसका अंदेशा तो नहीं कि फ़ैसला आस्था पर नहीं तथ्यों के आधार पर आने वाला है और आस्था तो आस्था होती है, इसीलिये इसमें उत्तेजना भी होती है, आक्रोश भी होता है, और धैर्य से परे भी होती है, अपने आस्था की प्राप्ति न होने पर उग्र रूप भी धारण कर सकती है। इसीलिये देश और प्रदेश की सरकार फूंक फूंक कर क़दम उठा रही है, अपनी ओर से सुरक्षा में कोई कमी नहीं रखना चाहती। आईये हम सब मोदी जी और योगी जी की अपील पर उनके सुर से सुर मिलायें और इस फ़ैसले को एक आम फ़ैसले की तरह लें आपसी सौहार्दय बनाये रखें, प्रशासन का साथ दें और आने वाले फ़ैसले का स्वागत करें, जिसके ख़िलाफ़ फ़ैसला आये वह उस समुदाय के लिये बड़े दिल का मुज़ाहरा करें जिसके हक़ में फ़ैसला आये उसे मुबारकबाद दें क्योंकि वह भी भारतीय होने के कारण आपके ही भाई हैं, आपके ही साथी हैं।

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