सिर्फ मीडिया ट्रायल? पुलिस भी तो अपना काम करे

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वकार रिजवी
आजकल तकऱीबन सभी न्यूज़ चैनल पर 24 घंटें ‘आप की अदालत’ का प्रोग्राम चल रहा है, कठघरे में है तबलीग़ी जमात, सरकारी वकील के तौर पर हैं हमेशा की तरह चैनल के एंकर और इलज़ामतराशी के लिये हैं वही सरकारी प्रवक्ता हैं जो कोई मौक़ा अपने हाथ से जाने नहीं देते और जहां भी कोई ग़ैरइंसानी वारदात नजऱ आती है उनमें वाज़ेह तौर पर तबलीग़ी जमात के लोग ही नजऱ आते हैं और सबसे हैरतअंगेज़ बात यह है कि इस मीडिया ट्रायल में जो लोग डिफ़ेंस के लिये बुलाये गये उन्होंने बजाये तबलीग़ी जमात का डिफ़ें स करने के तबलीग़ी जमात के इस कार्य को न सिर्फ निदंनीय बताया बल्कि दंडनीय भी कहा बस ग़लती यह की कि इसके साथ एक सवाल भी पूछ लिया कि निज़ामुददीन के जिस मरकज़ में लगभग 3000 लोग जमा थे, उससे मिला हुआ थाना है, इस मरकज़ के गेट पर हर वक़्त 5 पुलिस वाले तैयार रहते हैं, मरकज़ में एक रजिस्टर होता है जिसमें सारे लोगों की आमद दर्ज की जाती है जिससे बिना मस्जिद के अन्दर जाये सिर्फ इस रजिस्टर से जाना जा सकता था कि अंदर कितने लोग हैं दूसरे बाहर से आने वालों को सरकार के पास पूरा डेटा होता है, ऐसे में निज़ामुददीन मरकज़ में इन तबलीग़ी जमातियों इसका दुस्साहस कैसे किया, अब ऐसा सवाल जिसका जवाब न हो किसे रास आयेगा, मामला वैसा न बन पाया जैसा बनाने की सोंचा गया था इसलिये अभी भी कोरोना को मुसलमान करने की जददोजहद अभी भी जारी है।
आज भी लगातार चैनल तमाम ग़ैरइंसानी हरकतें तबलीग़ी जमात के नाम से दिखला रहे हैं जिससे किसी एक धर्म, किसी एक समाज किसी एक शहर का नुकसान नहीं बल्कि पूरे देश का नुकसान है, जो यक़ीनी तौर से न सिफऱ्  निदंनीय हैं, दंडनीय है बल्कि यह देश द्रोह भी हैं तो क्या इसका निस्तारण मीडिया ट्रायल से होगा या क़ानून के तहत होगा, ऐसे मीडिया ट्रायल से तो समाज में नफ़ रते बढ़ेंगी, दूरिया बढ़ेंगी, हेल्थ वर्कस का मनोबल टूटेगा। इसलिये सभी मुसलमान चाहते हैं कि ऐसे सभी लोग चाहे तबलीग़ी जमात से ही क्यों न हों उनके खि़लाफ कठोर कार्रवाई की जाये उन्हें दंडित किया जाये, फि रभी वह न माने तो इनसब को पकड़ कर एक जगह बन्द कर दिया जाये जिससे कोरोना उन्हीं तक महदूद रहे और इनकी वजह से कोई भी देशवासी चपेट में आये या पुलिस और पैरा मेडिकल वर्कस को परेशानी न हो। देश में अब इसे बर्दाश्त करने को कोई भी तैयार नहीं इसलिये इसकी जि़म्मेदारी सरकार, पुलिस और प्रशासन की है कि वह इसे किसी भी क़ीमत पर बल पूर्वक रोके जैसे उसने चाहा तो तीन तलाक़ का क़ानून बना दिया मुसलमान हाथ मलते रह गये, सरकार ने चाहा तो 70 साल पुरानी धारा 370 को समाप्त कर दिया और अकेले डोभाल ने पूरा कश्मीर संभाल लिया कोई चूं नहीं कर सका, जब सरकार ने चाहा तो उपद्रवियों की पूरे शहर में फोटो लगाकर उनका मनोबन तोड़ दिया और कोई कुछ न कर सका, ऐसे ही सरकार जब चाहेगी तो ऐसे गैऱ इंसानी काम करने वालों को सबक़ भी ज़रूर सिखा देगी।
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