RSS प्रमुख मोहन भागवत ने यह दावा किया कि संघ ने अपने स्वयंसेवकों से किसी पार्टी विशेष के लिए काम करने को कभी नहीं कहा. लेकिन उन्हें राष्ट्रीय हितों के लिए काम करने वाले लोगों का समर्थन करने की सलाह अवश्य दी है.
RSS के तीन दिवसीय सम्मेलन के दूसरे दिन राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन मे भागवत ने इस टिप्पणी के जरिए RSS के कामकाज और BJP के काम के बीच विभेद करने का प्रयास किया.
भागवत का कहना था कि BJP को वैचारिक तौर पर संघ के साथ सम्बद्धित माना जाता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित इसके कई शीर्ष नेताओं की RSS पृष्टभूमि रही है.
उन्होंने BJP का नाम लिए बिना कहा कि ऐसी धारणा है कि RSS किसी पार्टी विशेष के कामकाज में मुख्य भूमिका निभाता है क्योंकि उस संगठन में इसके बहुत सारे कार्यकर्ता हैं. भागवत ने कहा, ‘हमने कभी स्वयंसेवक से किसी पार्टी विशेष के लिए काम करने को नहीं कहा. हमने उनसे राष्ट्रीय हित के लिए काम करने वालों का समर्थन करने को अवश्य कहा है. RSS राजनीति से दूर रहता है किन्तु राष्ट्रीय हितों के मुद्दे पर उसका दृष्टिकोण है.’
उन्होंने कहा कि संघ का मानना है कि संविधान की परिकल्पना के अनुसार सत्ता का केन्द्र होना चाहिए और यदि ऐसा नहीं है तो वह इसे गलत मानता है. सम्मेलन के पहले दिन सोमवार को भागवत ने कहा कि आरएसएस प्रभुत्व नहीं चाहता और इसकी कोई परवाह नहीं है कि सत्ता में कौन आता है.
भागवत ने सोमवार को ‘भविष्य का भारत -आरएसएस का दृष्टिकोण’ कार्यक्रम के जरिए आरएसएस और उसकी विचारधारा को लेकर आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया. उन्होंने दावा किया कि आरएसएस बहुल लोकतांत्रिक है और तानाशाही नहीं.