दिल्ली के इलेक्शन आपसे मुतासिर न हों
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एक दिल्ली का इलेक्शन है जो अपने पांच साल की कारकुरदगी पर लड़ा जा रहा है, मौजूदा सरकार दावा कर रही है कि उसने अपने पांच सालों में सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदल दी, उसके कार्यकाल में सरकारी हेल्थ सेन्टर भी मरीज़ों को शिफ़ा देने लगे, बिजली पानी मुफ़्त हो गया, यानि ग़रीबों की सरकार आ गयी उसने ग़रीबों के लिये काम किया। दूसरी तरफ़ मुक़ाबले में बिना ड्राईवर के मोदी जी और अमितशाह के कंधो पर सवार भाजपा है जिसे केजरीवाल के दावों की हक़ीक़त बतानी है, उससे बेहतर दिल्ली बनाने का यक़ीन दिलाना है, इसके बीच अचानक कहीं से शाहीनबाग़ आ गया है जिससे दिल्ली इलेक्शन का कोई लेना देना नहीं क्योंकि दिल्ली में किसी की भी सरकार बनें, उससे शाहीनबाग़ का मसला नहीं सुलझना। ऐसे में शाहीनबाग़ में बैठी अपनी मां, बहनों और बेटियों से बस यही ग़ुज़ारिश है कि वह अपने ख़ैरख़्वाहों से पूछे कि उनकी इस क़ुरबानी का जाने अनजाने कोई फ़ायदा तो नहीं उठा रहा है, उनके इस वक़्त के एहतिजाज से दिल्ली इलेक्शन पर बुरे नतायज तो नहीं होंगें, दिल्ली का इलेक्शन जो पार्टी आपनी पांच साल की कारकुरदगी पर लड़ रही है और मुक़ालिफ़ पार्टी भी दिल्ली को बेहतर बनाने की बात कर रहे थे वह कहीं शाहीनबाग़ में उलझकर दिल्ली का नुकसान तो नहीं करेंगी। इसलिये आप एकबार बहुत सोंच समझकर अपने ख़ैरख़्वाह दानिश्वरों से अपने हमदर्दो से इस बारे में ज़रूर तबादलये ख़्याल करें और फिर वह करें जो आपकी अना के लिये नहीं आपके या किसी एक के ज़ाती मफ़ात के लिये नहीं बल्कि पूरे हिन्दुस्तान के लिये, मुल्क की जमहूरियत के लिये आपकी तहरीक आपके मक़सद के बक़ा के लिये हो।