शिशु के लिए मां का दूध कितना जरूरी होता है, यह तो हम सभी जानते हैं। वर्लड ब्रेस्ट फीड़िंग मिल्क वीक के तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट संस्थान (एसजीपीजीआई) में जल्द ही पहला मदर मिल्क बैंक स्थापित किया जाएगा। इससे कामकाजी महिलाओं को काफी मदद मिलने की संभावना है। अधिकारियों की माने तो इसके लिए एसजीपीजीआई ने रुचि दिखाई है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी।
एक से सात अगस्त के बीच मनाए जा रहे विश्व स्तनपान सताह के मौके पर राष्ट्रीय स्वस्थ्य मिशन के महाप्रबंधक (बाल स्वास्थ्य) डॉ. अनिल कुमार वर्मा के मुताबिक, “सरकारी क्षेत्र में पहला मदर मिल्क बैंक लखनऊ में स्थापित होगा। इसके लिए एसजीपीजीआई ने अपनी रुचि दिखाई है।”
क्या है मदर मिल्क बैंक
डॉ. वर्मा के मुताबिक दिल्ली के कलावती सरन अस्पताल में स्थापित मदर मिल्क बैंक का अध्ययन भी किया जा रहा है। मदर मिल्क बैंक बनने से शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी वहीं कामकाजी महिलाओं को भी काफी मदद मिलेगी।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में प्रत्येक पांच में से तीन माताएं ही अपने नवजात शिशु को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान नहीं कराती हैं। हर साल तकरीबन 33 लाख नवजात अपनी मां के दूध से वंचित रहते हैं। यही वजह है कि अब राजधानी लखनऊ में भी मदर मिल्क बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है।
सर्वे के मुताबिक पता चले कुछ चौका देने वाले निष्कर्ष
सर्वे के चौथे संस्करण में खुलासा हुआ है कि केवल 41 फीसदी नवजात ही छह सप्ताह तक मां के दूध का सेवन कर पाते हैं। पिछले सर्वे से अब तक स्तनपान में 10 फीसदी की गिरावट देखने में आई है। सर्वे में बताया गया है कि स्तनपान कराने में शहरों के मुकाबले गांवों की स्थिति ज्यादा बेहतर है। शहरों में महज 35 फीसदी महिलाएं ही स्तनपान करवाती हैं जबकि गांवों में यह 43 प्रतिशत है।
इसके अलावा नवजात के जन्म के एक घंटे के भीतर आवश्यक स्तनपान के मामले में महज 25 फीसदी महिलाएं ही ऐसा करती हैं, जबकि 75 फीसदी महिलाएं अपने शिशु को स्तनपान नहीं करवाती हैं।
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