राजधानी में सबसे पुरानी पात्रों द्वारा खेली जाने वाली रामलीला

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कन्हैया ने तोड़ा कालिया का गुरूर, झूलों-दुकानों ने सजाया रामोत्सव
62 वें आयोजन का पांचवा दिन


लखनऊ। राजधानी में सबसे पुरानी पात्रों द्वारा खेली जाने वाली रामलीला और कृष्णलीला मंगलवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गई है और भक्तों का अपार समर्थन इस 62 वें रामोत्सव को प्राप्त हो रहा है। वीर, हास्य, भक्ति और करूण रस से सराबोर करते इस विशाल आयोजन में दोपहर को कृष्णलीला और रात्रि में रामलीला का मंचन मथुरा, वृंदावन से आए आदर्श रामलीला एवं रासलीला मंडल द्वारा किया जा रहा है।


दोपहर को कृष्णलीला में कन्हैया की गेंद यमुना नदी में चली जाती है और कन्दुक निकालने के नन्हे कृष्ण यमुना में जाना चाहते हैं पर कालिया नाग के चलते ग्वाल बालें मना करते हैं। कालिया का मान मर्दन करने और उसको मुक्ति दिलाने के प्रयोजन से गोपाल यमुना में छलांग लगा देते हैं। कालिया अपने पाश में कन्हैया को बांधना चाहता है पर असफल रहता है और मुरली मनोहर बांसुरी बजाते हुए कालिया नाग के फन पर खड़े होकर यमुना से बाहर निकलते है। इस दृश्य को व्यास सूरज प्रसाद के मंडल ने इतनी बखूबी निभाया कि देर तक बच्चें और महिलाएं ताली बजाकर कर जय कन्हैयालाल की गाती रही।
रात्री में रामलीला के चौथे दिन राजा दशरथ कैकेई के आगे घुटने टेकते हुए राम को चौदह वर्ष का वनवास और भरत को राजगद्दी सौंपने का फैसला कर लेते हैं। मंथरा खुशी से नाचती गाती है और कौशल्या वह सुमित्रा विलाप करती है। राम सहर्ष वनवास जाने को तैयार हो जाते हैं और लक्ष्मण तथा सीता भी उनके साथ चलने की जिद करने लगते हैं और मना करने पर भी नहीं मानते हैं। माताएं राम लखन और सीता को आभूषण रहित वनवासी वेशभूषा में देख कर व्याकुल होती है और दशरथ पछाड़ खा खा कर गिरते हैं और कैकेई व मंथरा विजयी मुस्कान बिखेरते ही श्रोताओं की बदुआओं का शिकार होने लगती है। ये दृश्य इतनी सजीवता से मंचित किया गया कि मंथरा और कैकेई को दर्शकों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। माता पिता से आज्ञा लेकर राम लक्ष्मण और सीता वन की ओर प्रस्थान करते हैं। इसके बाद राम केवट सम्वाद का मार्मिक मंचन किया गया।

बृजेन्द्र बहादुर मौर्या की रिपोर्ट——————–

https://www.youtube.com/watch?v=Ai63RihKTIE&t=2s


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