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48 घंटे बाद खाली हो जायेंगे दर्जनों जिले*
नियुक्ति विभाग ने 47 आईएएस अफसरों का नाम ट्रेनिंग के लिए फाइनल किए
इसमें 31 अफसरों की जिलों में डीएम के रूप में है तैनाती
आईएएस अफसरों को अपनी नौकरी शुरू होने के सात साल बाद ट्रेनिंग पर जाना होता है। अफसरों को इस ट्रेनिंग के लिए तीन बार मौका दिया जाता है। इस बार सूबे के 47 अफसर इस ट्रेनिंग के लिए तय किए गए हैं, जिनमें 31 अफसर जिलों के डीएम के रूप में तैनात हैं। असली पेंच इन्हीं अफसरों को लेकर फंस रहा है। 9 तारीख को इन अफसरों को ट्रेनिंग पर जाना है। नियमानुसार ट्रेनिंग पर भेजने से पहले इन जिलों में कौन अफसर डीएम के रूप में तैनात होगा इसकी सूची मुख्यमंत्री से अनुमोदित करा लेनी चाहिए। सूत्रों का कहना है कि अभी ऐसी कोई सूची फाइनल नहीं की गई है। जिन अफसरों को ट्रेनिंग में नहीं जाना है वे भी इन 31 जिलों में जाने को बेताब हो रहे हैं।
अफसरों की ट्रेनिंग एक सामान्य प्रक्रिया है। जब आईएएस अफसर अपनी मसूरी और जिले की प्रोबेशन ट्रेनिंग पूरी करके नौकरी शुरू करते हैं तब सात साल से दस साल की नौकरी के बीच में उन्हें फेज तीन की दो महीने की ट्रेनिंग के लिए मसूरी जाना होता है। जहां से वह ट्रेनिंग के लिए कुछ दिन विदेश भी जाते हैं। ये ट्रेनिंग और 17 से 20 साल की नौकरी पूरी होने के बाद पुन: चौथे फेज की ट्रेनिंग के लिए भेजे जाते हैं और अंतिम चरण में जब उनकी नौकरी 28 से 30 साल की हो जाती है तब वह पांचवे फेज की ट्रेनिंग में जाते हैं। हर अफसर को यह ट्रेनिंग करना अनिवार्य है। मगर अफसर जब अच्छी तैनाती पर होते हैं तो वे इस ट्रेनिंग को कुछ समय के लिए टाल देते हैं, क्योंकि उनको लगता है कि अगर वह ट्रेनिंग पर चले गए तो उनकी जगह कोई और अफसर तैनात हो जायेगा और लौट कर आने पर यह तय नहीं होगा कि उन्हें दोबारा वही कुर्सी मिलेगी या नहीं।
इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। योगी सरकार बनने के बाद नौकरशाह परेशान हैं। क्योंकि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि किसका दामन पकड़ कर अच्छी तैनाती पाएं। अफसर इसलिए भी परेशान रहते हैं कि नियुक्ति विभाग इस बात की चिंता नहीं करता कि योग्य अफसर अच्छे जिलों में तैनात रहें।
इधर, वर्ष 2000 बैच के ऑल इंडिया टॉपर सौरभ बाबू यूपी के अफसर थे। होना यह चाहिए कि जिस अफसर ने पूरे देश में टॉप किया हो उसे हमेशा अच्छी जगह तैनात रखा जाए। मगर उनको अधिकांशत: छोटे जिलों में रखा गया। लिहाजा उन्होंने डेप्युटेशन पर ही जाना उचित समझा और आजकल वह मुंबई में तैनात हैं। यूपी में कुछ और अफसर भी हैं, जिन्होंने ऑल इंडिया टॉप किया, मगर उनकी तैनाती में भी इस बात का ध्यान नहीं रखा गया और रैक में काफी नीचे स्थान पर रहने वाले अफसरों को अच्छे जिले दिए गए। जाहिर है कि ऐसे हालातों में कोई भी अफसर अपना जिला छोड़कर ट्रेनिंग के लिए आसानी से नहीं जायेगा। अब देखना यह है कि परसों नियुक्ति विभाग क्या फैसला लेगा।
*ट्रेनिंग पर जाने वाले अफसर*
1. भगेलू राम शास्त्री – 2003
2. सत्येन्द्र कुमार सिंह – 2003
3. वीरेंद्र कुमार सिंह – 2004
4. शमीम अहमद खान – 2005
5. नरेंद्र शंकर पाण्डे – 2005
6. दिग्विजय सिंह – 2005
7. अजय शंकर पाण्डेय – 2005
8. रोशन जैकब – 2004
9. राज शेखर – 2004
10. जितेन्द्र बहादुर सिंह – 2005
11. योगेश्वर राम मिश्रा – 2005
12. योगेश कुमार शुक्ला – 2006
13. दिनेश कुमार सिंह – 2005
14. जुहेर बिन सगीर – 2006
15. कौशल राज शर्मा – 2006
16. प्रांजल यादव – 2006
17. ऋषिकेश बी. यशोद– 2006
18. नवीन कुमार जी.एस. –2007
19. प्रभु नारायण सिंह –2007
20. सुहास एल.वाई. –2007
21. अभय –2007
22. आदर्श सिंह –2007
23. सरोज कुमार –2008
24. किंजल सिंह –2008
25. के. विजयेन्द्र पांडियन-2008
26. कुमार रविकान्त सिंह – 2008
27. पवन कुमार – 2008
28. अमृत त्रिपाठी – 2008
29. राजेश कुमार – 2008
30. बी. चन्द्रकला – 2008
31. अनिल ढींगरा – 2008
32. बाल कृष्ण त्रिपाठी – 2009
33. सुभ्रा सक्सेना – 2009
34. सूर्यपाल गंगवार – 2009
35. अदिति सिंह – 2009
36. विजय किरन आनन्द – 2009
37. भानु चन्द्र गोस्वामी – 2009
38. अनुज कुमार झा – 2009
39. माला श्रीवास्तव – 2009
40. नितिन बंसल – 2009
41. रुपेश कुमार – 2009
42. मासूम अली सरवर – 2009
43. विवेक – 2009
44. भूपेन्द्र एस. चौधरी – 2009
45. प्रकाश बिन्दु – 2009
46. एस. राजालिंगम – 2009
47. वैभव श्रीवास्तव – 2009
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