मायावती के फैसले से बढ़ सकती है भाजपा में बेचैनी
कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों से नज़दीकी बढ़ेगी
सय्यद काज़िम रज़ा शकील
बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज एक कड़ा फैसला करते हुए अपनी पार्टी के एक बड़े नेता को पार्टी से बहार का रास्ता दिखाकर विपक्षी एकता को और बल दे दिया इसी के साथ मायावती का क़द एक बड़े लीडर के तौर पर विपक्ष में स्थापित होगा। 2019 के आम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा राष्ट्रिय स्तर पर भाजपा और सहयोगी दलों के खिलाफ ऐसी पार्टी है जो राष्ट्रिय स्तर पर गठबंधन कर सकते हैं बाकि क्षेत्रीय दलों के साथ इनका सहयोग सिर्फ इनको ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय दलों को भी संजीवनी देने का काम करेंगे। यह पहली बार नहीं है जब सोनिया गाँधी के विदेशी मूल के मुद्दे को उठाते हुए किसी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलने का काम किया है कांग्रेस ने भी कभी इस बात को मुद्दा नहीं बनाया कि कौन सोनिया के विदेशी मूल का मुद्दा उठा रहा है बल्कि भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस ने ऐसे लोगों का सहयोग भी लिया जैसे की शरद पवार और तारिक़ अनवर जैसे नेता और उनकी पार्टी का वजूद ही सोनिया गाँधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर अपनी राजनीती चमकाने वाले शरद पवार ने केंद्र में मंत्री बनने के लिए वही सोनिया गाँधी की पार्टी की सरकार का समर्थन कर मंत्री पद हासिल किया।
बसपा के राष्ट्रिय कोऑर्डिनेटर जयप्रकाश सिंह ने मायावती को खुश करने के लिए राहुल गाँधी को विदेशी मूल की मा का बेटा बताते हुए कह दिया कि राहुल कभी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते और मायावती को ही प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट कर दिया । दलित की बेटी को प्रधानमंत्री न बनाने का आरोप लगाने वाली मायावती को यह बात नागवार लगी और वक़्त की नज़ाकत और विपक्षी एकता को ध्यान में रखते हुए जय प्रकाश सिंह को पार्टी के बहार का रास्ता दिखा दिया इस एक्शन से सत्ताधारी भाजपा और विपक्ष में एक सन्देश भी चला गया कि अगर यह समझा जा रहा है कि गठबंधन में प्रधामंत्री पद को लेकर कोई रुकावट है तो यह गलत है पहले चुनाव भी नतीजे पर पद की दावेदारी होगी। मायावती के फैसले से सत्ताधारी दलों में बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है। राजनैतिक विश्लेषक उत्कर्ष सिन्हा मायावती के इस फैसले के दूरगामी परिणाम होने की बात कहते हैं वहीँ मनोज तिवारी का मान्ना है की मायावती का यह फैसला विपक्षी एकता को और मज़बूत तो करेगा ही साथ ही उत्तरप्रदेश के अलावा भी दुसरे प्रदेशों में छोटे दलों को भी प्रभावित करेंगे।
कुछ दिन पूर्व तक मीडिया रिपोर्ट बसपा और कांग्रेस में ही तालमेल ठीक न बैठने की बात कर गठबंधन की राह में रोड़ा बता रही थी लेकिन आज मायावती के एक्शन ने साबित कर दिया की वह बड़े दल की बड़ी नेता ही नहीं बल्कि बड़ी सोच के साथ सबको जोड़कर चलने की रणनीतिकार भी हैं।
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