बस इसी का डर था

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वकार रिजवी

सरकार अपना पुराना हरबा न इस्तेमाल करे ?
बहुत दिन से शाहीनबाग़ और इसी के तर्ज़ पर पूरे हिन्दोंस्तान में बेहद पुरअम्न तरीक़े से एहतिजाज हो रहा था, इस एहतिजाज की अलम्बरदार पढ़ी लिखी महिलायें थी जिनके पास जवाज़ था इस पुरज़ोर एहतिजाज का, मंसूबाबंदी थी हर झूठ को बेनक़ाब करने की, जोश था क़ौमी यकजहती का, ताक़त थी सर्द रातों की सर्दी सहने का, सब्र था, तमाम इल्ज़ामात, ज़ुल्म और सख़्ती को सहन करने का, इसीलिये वह पुलिस भी इन्हें अपनी डगर से न हिला न सकी जो जामियां की लाईब्रेरी में घुस कर निहत्थे लड़के और लड़कियों पर बर्बरता करते दिखायी दी और जे.एन.यू. की हिंसा के वक़्त लाचार और बेबस भी। अभी दिल्ली इलकेक्शन में सबने देखा कि कैसे पाकिस्तान की हार हुई और हिन्दोंस्तान की जीत, नफ़रत की शिकस्त हुई और मोहब्बत की फ़तेह। तमाम कोशिशों के बाद भी पूरे मुल्क में कहीं हिन्दु मुसलमान न हो सका सिवाये टी.वी. चैनल के। कश्मीर से 370 हटा दी गयी कहीं कुछ नहीं हुआ बाबरी मस्जिद का फ़ैसला आया सबने ख़ैरमक़दम किया। ऐसे में नयी तारीख़ रक़म करने वाले शाहीनबाग़ ने सबको क़ौमी यकजहती, हिन्दु मुसलमान सिख इसाई सब हैं भाई भाई का पैग़ाम देते हुये सबको हैरान कर दिया, कोई उंगली न उठा सका, कोर्ट ने भी इसे शान्तिपूर्ण प्रर्दशन माना और उनका अधिकार भी, जिन्हें कोर्ट ने भेजा वह भी शाहीनबाग़ के ही हो गये, ऐसे में ज़रूरी था कि कहीं हिंसा की वारदात हो, आगज़नी हो, कुछ लोग ज़ख़्मी हो और कुछ लोगों की जान भी जाये तभी इसे हिंसा का प्रर्दशन माना जायेगा और पुलिस को वहीं अज़मायें हुये पुराने हरबे इस्तेमाल करने की छूट मिल जायेगी जिसमें वह घरों में घुसकर औरतों और बच्चों पर ज़ुल्म करती है वरन्ा आपने देखा होगा जब तक वह चाहती है उसके सामने लोग बंदूक़ लहराते हुये फ़ायरिंग करते रहते हैं, आगज़नी करते रहते हैं, पत्थर फेकते रहते हैं लेकिन वह इसे एक फ़िल्म का ट्रेलर समझकर मज़े से देखती रहती है जैसे वह ही इस कहानी की कहानीकार हो।
इसलिये ज़रूरी है कि वहां के समझदार लोग आगे आयें समझदारी से काम लें पुलिस अपने अज़मायें हुये हरबे इसबार न इस्तेमाल करने दें वरना यह औरतों की सर्द रातों की सारी मेहनत बेकार जायेगी। यह दंगा कोई हिन्दु मुसलमान नहीं कर रहा है, यह तब तक होता रहेगा जब तक पुलिस चाहेगी वरना पुलिसे कितनी ऐक्टिव है यह हम जामिया की लाईब्रेरी में देख चुके हैं। इसलिये आप दंगाईयों से नहीं पुलिस डरें और पुलिस से ही गुहार भी लगायें यह वहीं पुलिस जिसे कपिल मिश्रा अपने साथ लेकर गये थे और धमकी देकर आये थे जिसके बाद से यह हालात दिल्ली के हो गये।

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