हाइफा: प्रधानमंत्री मोदी आज इस्राइल के हाइफा शहर पहुंचे और यहां शहीद हुए भारतीय जवानों को पीएम नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि दी. दरअसल, पहले विश्वयुद्ध के दौरान हाइफा में भारतीय जवानों ने अपना जौहर दिखाया था. भारतीय जवानों ने तुर्की के खिलाफ लड़ते हुए हाइफ़ा की हिफाजत की थी.
उल्लेखनीय है कि इस्राइल में 23 सितंबर 1918 को यह लड़ाई हुई थी इसलिए इस दिन को हाइफा दिवस के तौर पर मनाया जाता है. प्रथम विश्वयुद्ध के समय भारत की 3 रियासतों मैसूर, जोधपुर और हैदराबाद के सैनिकों को अंग्रेजों की ओर से युद्ध के लिए तुर्की भेजा गया. हैदराबाद रियासत के सैनिक मुस्लिम थे, इसलिए अंग्रेजों ने उन्हें तुर्की के खलीफा के विरुद्ध युद्ध में हिस्सा लेने से रोक दिया. केवल जोधपुर व मैसूर के रणबांकुरों को युद्ध लड़ने का आदेश दिया. हाइफा पर कब्जे के लिए एक तरफ तुर्कों और जर्मनी की सेना थी तो दूसरी तरफ अंग्रेजों की तरफ से हिंदुस्तान की तीन रियासतों की फौज.
यह जीत और अधिक खास थी क्योंकि भारतीय सैनिकों के पास सिर्फ घोड़े की सवारी, लेंस (एक प्रकार का भाला) और तलवारों के हथियार थे. वहीं तुर्की सैनिकों के पास बारूद और मशीनगन थी. फिर भी भारतीय सैनिकों ने उन्हें धूल चटा दी. बस तलवार और भाले-बरछे के साथ ही भारतीय सैनिकों ने उन्हें हरा दिया.