कांग्रेस का गठबंधन से बाहर रहना बसपा और सपा की कामयाबी की ज़मानत
वाकार रिज़वी
शायद कांग्रेस और सपा के रणनीतिकार ‘अवधनामाÓ संजीदगी से पढऩे लगे हैं शायद इसीलिये कांग्रेस इस महागठबंधन से बाहर है। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से ठीक पहले सिराज मेंहदी साहब के यहां राजस्थान के मुख्यमंत्री अषोक गहलोत, राजीव शुक्ला और प्रमोद तिवारी जैसे वरिष्ठ नेता मौजूद थे, और चाटुकार कांग्रेसी उनको खुली आंखो से ख़्वाब दिखा रहे थे कि 27 साल बाद आप उत्तर प्रदेश में सरकार में शामिल होने जा रहे हैं क्योंकि उनकी गुफ़ तुगू इस पर निर्भर थी कि आप यक़ीनी तौर पर अपनी सौ सीटे तो जीत जायेंगें। मैं भी वहां मौजूद था और देख रहा था कि सियासत में मनसब पर फ ़ायज़ लोग झूठ, मक्कारी और चाटुकारिता से कितना बेख़बर होते हैं या उन्हें यही भाती है यह तो अल्लाह जाने ? इसी मौक़े पर सिराज मेंहदी साहब ने मुझसे भी कहा कि आप पत्रकार हैं आप भी तो कुछ कहिये, मैं उनके बीच उन जैसी गुफ़्तुगू क्योंकर कर पाता हां पत्रकार होने की बिना पर एक सवाल अपने ज्ञानवर्धन के लिये पूछ लिया कि हुज़ूर यह बतायें कि जिन सीटों पर आप चुनाव लड़ रहे हैं उनपर पर सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार पिछले 5 सालों से तैयारी कर रहे थे ऐसे में अगर आप वहां जीत जाते हैं तो उनका कैरियर हमेशा के लिये समाप्त हो जायेगा, क्या वह आपके उम्मीदवार को जीतने देंगें और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का लगभग सफ़ाया होने के बावजूद अभी भी 6-7 प्रतिशत रिवायती वोट है जो सिफऱ् आपको ही मिलता है ऐसे में आप जिन सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं वहां आप अपना यह रिवायती वोट भाजपा को ट्रान्सफऱ नहीं कर रहे हैं ? सभी कांग्रेसी लीडरों ने इसे सुना लेकिन होठ सिल लिये इसका कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि उस वक़्त तक शायद बहुत देर हो चुकी थी, उनकी ख़ोमोशी ने हमारी यक़ीन दहानी कर दी और हमनें उसे वक़्त एक लेख लिखा ”श्चद्म आया, पीके चला गयाÓÓ उसे शायद अच्छे से कांग्रेसियों और समाजवादियों ने पढ़ा और पढ़ा ही नहीं बल्कि उसपर आज अमल भी किया।
बहन मायावती का अखिलेश यादव के साथ गठबंधन का ऐलान और कांग्रेस को अपने से अलग रखना ही इस गठबंधन की कामयाबी का अस्ल राज़ है और इस गठबंधन से भाजपा की यक़ीनी तौर से परेशानी बढ़ जायेंगी, क्योंकि कांग्रेस अब सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जिससे वह 7 प्रतिशत कांग्रेसी रिवायती वोट भाजपा में नहीं जायेगा जिसका सीधा फ़ायदा इस गठबंधन को होगा और वैसे भी अगर कांग्रेस भी इस गंठबंधन का हिस्सा होती तो अधिक से अधिक उसको छोड़ी गयी 2 सीटों के अतिरिक्त 10-12 सीटें ही और मिलती और बाक़ी 65 सीटों पर उसका वोट न बसपा में जाता न सपा में बल्कि इसका फ़ायदा सीधे भाजपा को होता, इसकी तसदीक़ आज बहन मायावती जी ने भी की। अब देखना है कि केन्द्रीय राजीनीति में होने के कारण कांगेस इसका फ ़ायदा कैसे उठाती है, याद रहे अगर कांग्रेस और तमाम प्रदेशों में कुछ अच्छा करने में कामयाब हो जाती है तो बसपा सपा गठबंधन जितना कामयाब होगा उसका फ़ ायदा सीधे तौर पर कांग्रेस को ही होगा।
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