येदियुरप्पा टेस्ट से पहले ही फेल
सैयद निज़ाम अली
कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार शपथ लेने के ५५ घंटे के अंदर ही गिर गयी। सारे देश में इसे प्रजातंत्र की जीत बताया जा रहा है।
गुरुवार को सुबह मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद येदियुरप्पा ने कहा था कि वह १०० फीसदी बहुमत हासिल कर लेंगे। सारा देश जानना चाह रहा था कि जब उनके पास बहुमत ही नहीं है तो वह कैसे बहुमत हासिल करेंगे। बहुमत साबित करने के लिए येदियुरप्पा के पास सिर्फ १०४ विधायक थे जबकि कांग्रेस व जदएस गठबंधन के पास ११६ विधायकों के अलावा दो अन्य विधायकों का भी समर्थन प्राप्त था। यानि येदियुरप्पा की नजर कांग्रेस-जदएस के गठबंधन के विधायकों पर थी इनमें से कुछ विधायकों को करोड़ों का लालच व मंत्री पद तक की पेशकश थी। कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने येदियुरप्पा को बहुमत न होने के बावजूद सरकार बनाने को निमंत्रित कर एक गलत काम किया था दूसरे उन्होंने येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए१५ दिन का समय देकर विधायकों की खरीद फरोख्त का पूरा अवसर दिया था। लेकिन कांग्रेस ने होशियार खिलाड़ी की तरह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और रात पौने दो बजे से लेकर गुरुवार तड़के ३.५० तक सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने इस पर सुनवाई करते हुए येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से मना तो नहीं किया लेकिन इस पर शुक्रवार को फिर सुनवाई करने को कहा। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने फिर सुनवाई करते हुए राज्यपाल को निर्देश दिया कि येदियुरप्पा शनिवार को शाम को ४ बजे फ्लोर पर बहुमत सिद्ध करें। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया तब तक येदियुरप्पा कोई नीतिगत फैसला नहीं लेंगे और राज्यपाल किसी एंग्लो इंडियन समुदाय के व्यक्ति को विधायक मनोनीत नहीं करेंगे। इसके साथ पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि वह सभी विधायकों की सुरक्षा करेंगे।राज्यपाल ने सदस्यों की शपथ दिलाने के लिए प्रोटेम स्पीकर के तौर पर भाजपा के विवादस्पद केजी बोपैया को नियुक्त कर दिया। कांग्रेस को उम्मीद थी कि उसके सात बार के विधायक और सबसे वरिष्ठ आरवी देशपांडे को राज्यपाल प्रोटेम स्पीकर बनायेंगे। कांग्रेस इसके खिलाफ एक बार फिर शुक्रवार की रात को सप्रीम कोर्ट पहुंच गयी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को इस पर सुबह १०.३० बजे सुनवाई करते हुए केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बने रहने की इजाजत तो दे दी लेकिन फ्लोर टेस्ट की विडियोग्राफी करने के आदेश के साथ ही प्रोटेम स्पीकर को नियमानुसार सारी कार्यवाही करने के भी निर्देश दिए।
सारे देश की निगाहे आज कर्नाटक पर लगी हुई थी और भाजपा काफी उत्साहित थी लेकिन दोपहर दो बजे तक भाजपा अपनी चाल में कामयाब होती नहीं दिखी और येदियुरप्पा ने शकित्त परीक्षण से पहले ही इस्तीफा दे दिया। येदियुरप्पा तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे और तीनों ही बार वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकें। येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे और इन्ही को भाजपा ने पार्टी से निकाल दिया था।
येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पाॢययों ने इसे लोकतंत्र की विजय बताया। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा कर्नाटकचुनाव को लेकर काफी उत्साहित थी। येदियुरप्पा के इस्तीफे से भाजपा में काफी निराशा हुई क्योंकि भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह सारे चुनाव में डंके की चोट पर कह रहे थे। जहां तक भाजपा का यह दावा कि कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया तो उनको जानना चाहिए कि कांग्रेस को ३८ फीसदी वोट मिले जबकि भाजपा को ३६ फीसदी वोट मिले। इसके अलावा जनतादल एस को १८ फीसदी और तीन अन्य विधायकों को आठ फीसदी इस तरह कांग्रेस-जदएस व अन्य को ६४ फीसदी और भाजपा को सिर्फ ३६ फीसदी फिर भाजपा किस मुंह से कह रही है कि जनता ने कांग्रेस को नकार दिया। हकीकत तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट की सख्ती की वजह से भाजपा विधायकों की खरीद फरोख्त नहीं कर सकी। कांग्रेस ने उसके आडियो क्लिप भी जारी कर दिये थे। अब कर्नाटक में जदएस नेता कुमारस्वामी के नेतृत्व में जदएस-कांग्रेस की संयुक्त सरकार बनेगी।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव व बाद के घटनाक्रम क ा असर राष्ट्रीय सियासत पर भी होगा और अब कांग्रेस अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में सभी क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर व्यापक गठबंधन बनायेगी ताकि भाजपा को शिकस्त हो। इस साल के आखिर में भाजपा शासित राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने वाले है। मध्य प्रदेश व राजस्थान के उप चुनाव में कंाग्रेस ने भाजपा को करारी शिकस्त दी थी देखना यह कि विधानसभा
चुनाव में क्या होता है। वैसे कर्नाटक के एपिसोड से भाजपा व आरएसएस काफी हतोत्साहित हैं।
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