गर्भनिरोधक परिवार नियोजन के लिए अपनाया जाने वाला तरीका है। गर्भनिरोधक के जरिये बच्चे के जन्म पर नियंत्रण लगाया जाता है। गर्भनिरोधक सोच-समझकर अपनाया जाने वाला तरीका है। इसके लिए कई तरीके हैं, लेकिन प्राकृतिक रूप से गर्भनिरोधक आजमाने के कई फायदे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि इसका कोई साइड-इफेक्ट नहीं पड़ता। इसके अलावा नैचुरल गर्भनिरोधक प्रयोग करने के कई अन्य कारण भी हैं।
अनचाहे गर्भ से बचाव के लिए अब तक सबसे अच्छा और बेहतर तरीका गर्भनिरोध गोलियों को माना जाता रहा है। लेकिन इसके कई खतरनाक साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं, अगर सही समय पर इसका प्रयोग न किया जाये (यौन संबंध बनाने के 72 घंटे के अंदर) तो यह असर नहीं करती। इन दवाओं का अधिक प्रयोग करने से बांझपन की समस्या भी हो सकती है। इसलिए प्राकृतिक गर्भनिरोधक को जन्म पर नियंत्रण के लिए सबसे बेहतर तरीका माना जाता है।
दवाओं या अन्य गर्भनिरोधकों की तुलना में प्राकृतिक गर्भनिरोध अधिक प्रभावी है। चीन में हुए एक शोध की मानें तो प्राकृतिक रूप से अपनाये गये गर्भनिरोधक के प्रभावी होने की संभावना 97 से 100 प्रतिशत तक होती है। यानी यह पूरी तरह से सुरक्षित तरीका है।
कुछ शोधों की मानें तो गर्भनिरोधक के लिए प्रयोग किये जाने वाली गोलियों का अधिक सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर के होने की संभावना अधिक होती है। जबकि प्राकृतिक गर्भनिरोधक के प्रयोग से इस प्रकार का कोई खतरा नहीं होता है। यानी यह आपको ब्रेस्ट कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से भी बचाता है।
गर्भनिरोधक गोलियों का प्रयोग करने वाली महिलाओं की यौन क्षमता भी प्रभावित होती है और यौन संबंध के प्रति उनकी रुचि समाप्त होने लगती है। जबकि प्राकृतिक गर्भनिरोधक के साथ ऐसा नहीं होता, यानी आपकी यौन क्षमता बरकरार रहती है। यानी इस तरीके का गर्भनिरोधक प्रयोग करके आप सेक्स का मजा पूरी तरह से ले सकते हैं।
अनचाहे गर्भ पर नियंत्रण पाने के लिए अगर आप गोलियों का प्रयोग करते हैं तो उससे आपका स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। सिरदर्द, बदन दर्द, अनिद्रा, भूख न लगना जैसी समस्या कंट्रासेप्टिव पिल्स के प्रयोग होने लगती है, जबकि प्राकृतिक गर्भनिरोधक का प्रयोग करने से ऐसा नहीं होता।
प्राकृतिक गर्भनिरोधक का प्रयोग करने से महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव में कोई समस्या नहीं होती है। जबकि गर्भनिरोधक गोलियों के प्रयोग से महिला का मासिक चक्र भी प्रभावित हो सकता है।
प्राकृतिक गर्भनिरोधक का प्रयोग करना बहुत ही आसान है। माहवारी के बाद आने वाले ओव्यूलेशन पीरीयड (माहवारी शुरू होने के 10वे से 16वें दिन के बीच) के दौरान यौन संबंध न बनायें। इन दिनों के अलावा आप कभी भी यौन संबंध बना सकते हैं और अनचाहे गर्भ से बचाव कर सकते हैं।
प्राकृतिक गर्भनिरोधक आपकी यौन क्षमता को प्रभावित नहीं करती है, यानी आप अपनी सेक्सुअल लाइफ का पूरा मजा उठा सकते हैं। इसका प्रयोग करने से आपके पार्टनर को आपसे कोई शिकायत भी नहीं होती है।
गर्भनिरोध के लिए प्रयोग की जाने वाली दवाओं में आप हजारों रूपये खर्च करते हैं, जबकि प्राकृतिक गर्भनिरोधक की सबसे खासियत यह भी है कि इसका प्रयोग करने में कोई पैसा खर्च नहीं होता, यानी यह बिलकुल मुफ्त है।
प्राकृतिक रूप से गर्भनिरोधक का प्रयोग न केवल अनचाहे गर्भ से छुटकारा दिलाता है बल्कि आपके पार्टनर को जिम्मेदार का एहसास भी दिलाता है। इस काम के लिए केवल महिला की नहीं पति की भी जिम्मेदारी होती है। इसकी एक खास बात और है कि इस तरीके का प्रयोग करने के बाद आप जब भी चाहें दोबारा मां बन सकती हैं।