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नई दिल्ली। भारतीय ई-कॉमर्स मार्केट में अमेजन की बढ़ती हिस्सेदारी और मिल रही कड़ी टक्कर से पार पाने के लिए फ्लिपकार्ट ने अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी स्नैपडील को एक बार फिर से खरीदने के लिए 90 से 95 करोड़ डॉलर का नया ऑफर भेजा है। इस से जुड़े सूत्रों के अनुसार फ्लिपकार्ट ने यह नया ऑफर स्नैपडील के ऑनलाइन मार्केटप्लेस और यूनीकॉमर्स का अधिग्रहण करने के लिए दिया है। उम्मीद की जा रही है कि स्नैपडील का बोर्ड अब इस ऑफर पर विचार करेगा और इस बार इसे स्वीकार कर लिया जाएगा। 2015 में स्नैपडील ने यूनीकॉमर्स का अधिग्रहण किया था, जो कि एक ई-कॉमर्स मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर और फुलफिलमेंट सॉल्यूशन प्रोवाइडर है।
सेल एंड पर्चेज एग्रीमेंट पर शुरू होगी बात
स्नैपडील का बोर्ड फ्लिपकार्ट के इस नए ऑफर को स्वीकार करता है तो फिर दोनों पार्टियां सेल एंड पर्चेज एग्रीमेंट पर बातचीत शुरू करेंगी। फ्लिपकार्ट और स्नैपडील दोनों ने ही इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। स्नैपडील एक अलग सौदे में अपनी मोबाइल पेमेंट यूनिट फ्रीचार्ज और लॉजिस्टिक बिजनेस वल्कन एक्सप्रेस को भी बेचने के लिए बातचीत कर रही है, जिसके अगले कुछ हफ्तों में पूरा होने की उम्मीद है।
ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि स्नैपडील को खरीदने की दौड़ में एक अन्य ई-कॉमर्स कंपनी भी शामिल है। यदि स्नैपडील और फ्लिपकार्ट के बीच यह सौदा पूरा होता है तो यह भारतीय ई-कॉमर्स बाजार में अब तक का सबसे बड़ा अधिग्रहण सौदा होगा।
स्नैपडील ने ठुकराया था 5500 करोड़ का ऑफर
हाल ही में स्नैपडील को खरीदने के लिए फ्लिपकार्ट की तरफ से एक ऑफर भी दिया गया, लेकिन कंपनी ने फ्लिपकार्ट के इस ऑफर को ठुकरा दिया। फ्लिपकार्ट की तरफ से स्नैपडील को खरीदने के लिए 85 करोड़ डॉलर यानी करीब 5,500 करोड़ रुपए का ऑफर दिया गया था। स्नैपडील के निदेशक मंडल ने फ्लिपकार्ट की यह पेशकश ठुकराते हुए कहा कि फ्लिपकार्ट ने उनका सही मूल्यांकन नहीं किया।
सॉफ्टबैंक दे चुका है हरी झंडी
स्नैपडील को फ्लिपकार्ट से बेचने के लिए सबसे बड़ा अंशधारक सॉफ्टबैंक ने संस्थापकों और कलारी से इस संबंध में मंजूली पहले ही ले चुका है। उल्लेखनीय है कि सॉफ्टबैंक ने वर्ष 2016-17 के दौरान स्नैपडील में उसे अपने निवेश पर एक अरब डॉलर (6,500 करोड़ रुपए) का घाटा हुआ। यह उतनी ही राशि है जितनी उसने अपने घरेलू मार्केटप्लेस में लगाई थी। नियामकीय जानकारी के मुताबिक सॉफ्टबैंक की वर्तमान में स्नैपडील में 30 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है जबकि नेक्सस की करीब 10 प्रतिशत और कलारी की कंपनी में आठ प्रतिशत हिस्सेदारी है।