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कई लोगों को सल्फी लेना पसंद होता है तो किसी-किसी को सेल्फी लेने की आदत होती है। वर्तमान में ‘सेल्फी’ लेना बहुत सामान्य सी आदत है जो हर वर्ग के लोगों में नजर आती है। टीएनजर्स से लेकर युवा और बुजुर्ग भी सेल्फी लेने के शौकीन हैं। लेकिन ये शौक कई बार मिर्गी की वजह भी बन सकता है। ये हम नहीं, बल्कि ये रिसर्च कह रही है।
जब शौक बन जाए लत
आज सेल्फी लोगों की जिंदगी की जरूरत जैसी बन गई है। कहीं जा रहे हैं तो सेल्फी… कुछ खा रहे हैं तो सेल्फी… मस्ती के समय सेल्फी तो किसी के अंतिम-संस्कार में गए हैं तो सेल्फी। अगर आपको भी सेल्फी लेने की ऐसी ही लत है तो सतर्क हो जाएं। क्योंकि सेल्फी लेना कुछ लोगों के लिए मिर्गी के दौरे पड़ने की वजह भी हो सकता है।
ऐसा ही एक मामला एक टीनएजर बच्चे की स्थिति में देखने को मिला है। जब इस टीनएजर ने खुद की एक ब्राइट सेल्फी ली तो उसके दिमाग में मिर्गी के दौरों जैसी एक्टिविटी को दर्ज किया गया। जब कनाडा के डॉक्टर्स ने इस मामले की जांच की तो उन्होंने पाया कि उस टीनएजर पर ऐसा असर इसलिए हुआ क्योंकि वो इस तरह की ब्राइट तस्वीर लेने के मामले में काफी फोटो सेंसिटिव था और इसे ही उसके दौरों के पीछे की एक बड़ी वजह माना जा रहा है।
ब्राइट फ्लैश की वजह से होती है दिक्कत
हाल ही में हुई एक केस स्टडी के परिणाम आए हैं। इस परिणामों के अनुसार जो लोग फोटो सेंसिटिविटी मिर्गी से पीड़ित होते हैं उन्हें ब्राइट फ्लैश की वजह से दिक्कत हो सकती है और वो ‘सेल्फी-एपिलेप्सी’ का शिकार हो सकते हैं। ये बात सेल्फी के खिलाफ जाती है। सेल्फी के खिलाफ पिछले दिनों भी एक रिसर्च आई थी जिसमें एक्सपर्ट्स ने पुष्टि की थी कि सेल्फी से होने वाले फोन रिडेएशन झुर्रियों का कारण भी हो सकता है।
मिर्गी में 3 फीसदी फोटोसेंसिटिविटी एप्लेप्सी की हिस्सेदारी
मिर्गी कई तरह की होती है जिसमें से एक प्रकार को फोटोसेंसिटिविटी एप्लेप्सी कहा जाता है। मिर्गी के मामलों में 3 फीसदी फोटोसेंसिटिविटी एप्लेप्सी की हिस्सेदारी देखने को मिलती है। इस रोग से पीड़ित व्यक्तियों को फ्लैश लाइट, प्राकृतिक रोशनी और यहां तक कि विजुएल पैटर्न से भी दौरे पड़ सकते हैं। इसलिए जब आप सेल्फी लेते हैं औऱ ब्राइट लाइट आपके आंखों व दिमाग में पड़ती है तो मिर्गी के दौरे पड़ने की संभावना हो सकती है।