वैवाहिक रिश्ते में आने की चुना बजाय जेल जाना

0
144
join us-9918956492——————————————
अपने व्हाट्सप्प ग्रुप में 9918956492 को जोड़े———————– 
सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने 22 नवंबर बुधवार यानी आज डॉक्टर रुखमाबाई राउत को उनके 153वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी है। ब्रिटिश भारत की पहली महिला डॉक्टरों में से एक रहीं डॉ. रुखमाबाई का आज 153वां जन्मदिन है। गूगल ने डॉ. रुखमाबाई और उनके पीछे अस्पताल का चित्रण कर उन्हें ये सम्मान दिया है।

गूगल डूडल में रुखमाबाई को एक ओजस्वी महिला के रूप में दिखाया गया है और उनके आस-पास मरीजों की सेवा में लगे कर्मचारियों को भी दिखाया गया है। रुखमाबाई ने महिलाओं के लिए भी लंबी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने तब होने वाले बाल विवाह के खिलाफ भी आवाज उठाई थी।

श्रेया गुप्ता ने बनाया है आज का गूगल डूडल –

डूडल पर गूगल के ब्‍लॉग पोस्‍ट ने बताया, ‘आज का डूडल डिजायनर श्रेया गुप्‍ता ने बनाया है। उन्‍होंने ओजस्वी महिला के तौर पर रुख्‍माबाई को चित्रित किया है। और उनके आस-पास मरीजों की सेवा में लगे कर्मचारियों को भी दिखाया गया है।’

यह थी रुखमाबाई की संघर्ष की कहानी –

22 नवंबर, 1864 को जन्मीं रुखमाबाई की शादी बचपन में ही हो गई। उनकी मर्जी के बगैर 11 साल में उनकी शादी दादाजी भिकाजी राउत से करा दी गई। रुखमाबाई इस शादी से खुश नहीं थीं। उन्हें अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी। वो अपने मां-बाप के साथ रहकर ही पढ़ाई करने लगीं, लेकिन फिर उनके पति भिकाजी राउत ने उन्हें जबरदस्ती अपने साथ रहने के लिए कहा। इसके लिए भिकाजी ने मार्च 1884 में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका डाली। उन्होंने पति को पत्नी के ऊपर वापस से वैवाहिक अधिकार देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

शादी की जगह चुना जेल जाना –

हाईकोर्ट ने रुखमाबाई को दो ऑप्शन दिए, या तो वो इसका पालन करें या फिर जेल जाएं। रुखमाबाई ने पति के साथ वैवाहिक रिश्ते में आने की बजाय जेल जाना चुना। रुखमाबाई के तर्कों ने उन्हें जेल जाने से बचा लिया और अंत में वो जबरदस्ती की शादी से मुक्त हो गई। इसके बाद रुखमाबाई ने इस दौरान अपनी पढ़ाई जारी रखी। साथ ही साथ अपने पेन नेम ‘ए हिंदू लेडी’ के अंतर्गत उन्होनें कई अखबारों के लिए लेख लिखे और कई लोगों ने उनका साथ दिया। जब उन्होंने डॉक्टर बनने की इच्छा व्यक्त की तो उन्हें लंदन भेजने के लिए फंड तैयार किए गए।

लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन से की पढ़ाई –

रुखमाबाई ने लंदन स्कूल ऑफ मेडिसिन से पढ़ाई पूरी की और देश की दूसरी महिला डॉक्टर बनीं। रुखमाबाई ने डॉक्टर के रूप में 35 साल तक अपनी सेवा दी। उन्होंने इसके बाद बाल विवाह और महिलाओं के हक में भी काफी काम किया। 25 सितंबर, 1991 को 91 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

https://www.youtube.com/watch?v=ZPQde_k8FYA&t=12s


अवधनामा के साथ आप भी रहे अपडेट हमे लाइक करे फेसबुक पर और फॉलो करे ट्विटर पर साथ ही हमारे वीडियो के लिए यूट्यूब पर हमारा चैनल avadhnama सब्स्क्राइब करना न भूले अपना सुझाव हमे नीचे कमेंट बॉक्स में दे सकते है|
Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here