राफेल सम्झौता केंद्र सरकार के लिए सिरदर्द बन गया हैं. आए दिन हो रहे नए-नए दावों पर मोदी सरकार की सफाई काफी हल्की नज़र आ रही है. विपक्ष प्रारम्भ से ही इस समझौते को लेकर मोदी हुकूमत को निशाना बनाती रही हैं.
हालांकि राफेल सौदे मे कीमतें बढ़ने का मुद्दा तो कांग्रेस पिछले कई महीनो से उठा रही थी लेकिन शुक्रवार को फ़्रांस की मीडिया में आए पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के एक बयान ने इस पूरे मामले पर नए ‘सवाल और शक’ पैदा कर दिए. और भारत की राजनीतिक गलियारों में मे हलचल का महोल हो गया है.
फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद का बयान आया जिसमें दावा किया गया था कि राफेल विमान बनाने के समझौते के लिए ‘भारत सरकार ने ही रिलायंस डिफेंस का नाम सुझाया था और फ़्रांस के पास इस संबंध में कोई विकल्प नहीं था’. इसके अलावा फ्रांसीसी सरकार की तरफ से जारी किया गया बयान भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है. फ्रांस की सरकार का कहना है कि पार्ट बनाने के लिए कंपनी का चयन करने में हमारा कोई योगदान नहीं है.
वरिष्ठ पत्रकार राधिका रामाशेषन की माने तो ओलांद के बयान को नकारना भारत सरकार के लिए इतना आसान नहीं होगा.राधिका कहती हैं, ”ये सौदा दोनों देशों की सरकारों के बीच हुआ था, उस समय ओलांद ही फ़्रांस के राष्ट्रपति थे तो उनके किसी बयान को नकारने का सीधा मतलब है कि आप कह रहे हैं कि उस वक़्त के फ्रांस के राष्ट्रपति डील के बारे सच नहीं बोल रहे हैं.”
रक्षा मामलों के विशेषज्ञ और पॉलिसी स्टडीज़ के डायरेक्टर उदय भास्कर भी कहते हैं कि ओलांद के बयान को बेहद गंभीरता से लेने की ज़रूरत है.
वो कहते हैं, ”ओलांद के बयान ने इस पूरे मामले पर और ज़्यादा शक़ करने की वजह दे दी हैं. इसके पहले भारत सरकार कह रही थी फ़्रांस की कंपनी दसो ने खुद रिलायंस का चुनाव किया था जबकि ओलांद उसके उलट बोल रहे हैं. अभी लगता है कि इस मामले में और भी कई छिपी हुई बातें सामने आ सकती हैं.”
ज़ाहिर है कि मोदी सरकार के सामने 2019 का चुनाव है और इस मुद्दे पर सरकार के टूटे-फूटे जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 15 अगस्त को लालकिले पर ले जाने में कामयाब नहीं होंगे.
उल्लेखनीय हैं कि सरकार ने इस मामले में कहा है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के दावों की जांच की जाएगी.
आपको बता दें कि राफेल विमानों की ख़रीद के लिए भारत और फ्रांस के बीच पिछले साल सितंबर में समझौता हुआ था. समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ दोनों के बीच ये समझौता 36 जंगी विमानों के लिए हुआ है. पहले 18 विमानों का सौदा हुआ था लेकिन अब भारत फ्रांस से 36 विमान खरीद रहा है.