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सुकमा शहीदों की याद और भारतीय सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिये पत्रकारों ने निकाला शांति और कैंडल मार्च
लखनऊ । शुक्रवार को राजधानी में एक अनोखा अन्दाज और रोष देखने में आया जब लखनऊ के मीडियाकर्मियों ने एक जुट हो कर भारतीय सैनिकों पर हो रहे हमलों का पुरजोर विरोध करते हुए सुकमा शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित की । रोज दुनिया भर के प्रदर्शनों और मार्चों को कवर करने वाले पत्रकार स्वयं प्रदर्शन का हिस्सा बन गये । विभिन्न पत्रकार संघों, लखनऊ मीडिया के साथ मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्यागिरी महाराज तथा उम्मीद संस्था ने भी प्रदर्शन में भाग लिया ।
छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ पर हुए हमलें में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजली अर्पित करने और कश्मीर में आये दिनों भारतीय सैनिकों पर होने वाले हमलों के विरोध में राजधानी के पत्रकारों ने शुक्रवार को शांति तथा कैंडल मार्च का आयोजन किया । राजधानी के प्रेस क्लब पर बड़ी संख्या में पत्रकार एकत्र हुए और नक्सली हमलों की निन्दा पर प्रस्ताव पारित किया । प्रेस क्लब से हाथों में बैनर पोस्टर लेकर भारतीय सेना की जयजयकार करते हुए पत्रकारों का समूह गांधी प्रतिमा पर पहुंचा । पत्रकारों के हाथों में भारतीय सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के नारों के पोस्टरों के साथ सुकमा शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित करने के पोस्टर बैनर भी थे । गांधी प्रतिमा पहुंच कर पत्रकारों का मार्च शोक सभा में बदल गया । वरीष्ठ पत्रकारों ने एक स्वर में सुकमा हमलें पर दुख जताते हुए कहा कि केवल सोशल मीडिया पर बयान देने से काम नहीं चलेगा बल्की ठोस कार्यवाही भी सुनिश्चित करनी पडेगी । शोक सभा को सम्बोधित करते हुए महंत देव्यागिरी महाराज ने कहा कि भारतीय सैनिक जान जोखिम में डाल कर देश की रक्षा करते है और सुकमा जैसे हमलें सैनिकों का मनोबल तोड़ देते है । प्रधानमंत्री मोदी को त्वरित कार्यवाही करने का संदेश देते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि सैनिकों के हमलावरों पर कड़ी कार्यवाही करते हुए एक सख्त संदेश दिया जाये ।
रोड़ मार्च के बाद गांधी प्रतिमा पर शोक सभा के आयोजन के बाद मोमबत्ती जला कर सुकमा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजली अर्पित की गयी । महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद राजधानी के सभी पत्रकारों ने सुकमा की कायरतापूर्ण कार्यवाही की निन्दा करते हुए कहा कि अब जुमलेबाजी बन्द हो और भारतीय सैनिकों के साथ इन्सान होना चाहिए । सैनिकों के लिये कलम उठाने की बात करते हुए कलमकारों ने कहा कि यदि जल्दी ही प्रधानमंत्री मोदी सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिये ठोस कदम नहीं उठायेंगे तो पत्रकारों की कलम का निशाना बनना पडेगा
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