आज आख़िरी दिन है नामंकन का, हमने तो बहुत दिन पहले ही आपके नाम की मोहर लगा दी थी और आपके बेपनाह चाहने वाले आपकी राहों में फूल बिछाने को खड़े हो गये थे लेकिन इन्तिेज़ार इतना लम्बा हो गया कि वह सब के सब ख़ड़े ख़ड़े थक गये जिसकी वजह से जिसको जहां जगह मिली उसने वहीं टेक लगा ली और सारे के सारे फूल भी मुरझा गये क्योंकि आपके रणनीतिकारों ने आपको यहां भेजने में बहुत देर कर दी। दूसरी तरफ़ आपके मुक़ाबिल राजनाथ सिंह हैं जिन्होंने अपना चुनाव प्रचार उसी दिन से शुरू कर दिया था जिस दिन 2014 में वह यहां से विजयी हुये थे, न केवल वह इन पांच सालों लखनऊ वालों से लखनऊ में मिलते रहे उनके प्रोग्रामों में शिरकत करते रहे बल्कि वह शायद अकेले ऐसे सांसद है कि गृह मंत्री जैसे बड़े पद पर रहते हुये भी उन्होंने दिल्ली में 17 अकबर रोड के दरवाज़े हमेशा अपने संसदीय क्षेत्र की जनता के लिये खोले रखे। लखनऊ से जाने वाला किसी भी धर्म व समुदाय का व्यक्ति केवल यह बता दे कि वह लखनऊ से आया है तो न केवल बाहर से अन्दर तक सिक्यूरिटी वाले आपको आदर सत्कार के साथ ले जायेंगें बल्कि हर एक मिनट पर आपसे कोई न कोई आकर यह भी पूछेगा कि आपको चाय मिली की नहीं फिर दूसरा पूछेगा कि चाय के साथ बिस्कुट मिले की नहीं, और वह हद भर आपसे मिलने की न सिर्फ़ कोशिश करेेंगें बल्कि आपका काम भी बिना आपका धर्म और समुदाय पूछे कराने की कोशिश करेंगें।ऐसे में आपके रणनीतिकारों ने आपके लिये क्या रणनीति बनाकर आपको भेजा है हमें नहीं मालूम ? हमें तो बस यह मालूम है कि आप लोगों के दिलों में उतर जाने के हुनर जानते़ हैं लेकिन वक़्त बहुत कम है आप कितने लोगों के सामने अपने इस हुनर का मुज़ाहरा कर पाते हैं यह तो वक़्त ही बतायेगा लेकिन यह तो चुनाव है किसी न किसी को तो आपकी पार्टी से लड़ना ही था ज़ाहिर है पार्टी ने अपने सबसे मज़बूत सिपाही को देर से ही सही लेकिन हमारे शहर में भेजा तो, लेकिन समय बहुत कम दिया है और आपसे बेहतर कौन जानता है कि वक़्त की हर शह ग़ुलाम है
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