पाक मीडिया का आरोप, चुनाव की वजह से रिश्ते सुधारना नहीं चाहता भारत

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भारतीय विदेश मंत्री से मुलाक़ात रद्द होने के बाद पाकिस्तानी मीडिया बौखला गयी है. पाकिस्तान के उर्दू अखबारो ने भारत पर हठधर्मिता का आरोप लगाते हुए लिखा है कि उसने शांति का एक और मौका गंवा दिया है.

अखबारों ने केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि “चुनाव करीब होने की वजह भारतीय सरकार ने ये फैसला लिया है.” किसी अखबार का कहना है कि भारत का यह फैसला अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रूम्प को खुश करने के लिए किया गया है.

औसाफ लिखता है कि विदेश मंत्रियों की मुलाकात से बर्फ पिघलने की उम्मीद थी लेकिन इस मुलाकात पर भारत के इकरार के बाद इनकार से शांति का एक और अवसर बेकार चला गया. अखबार कहता है कि भारत ने अपनी हठधर्मिता से दुनिया को संदेश दिया है कि वह अमन नहीं चाहता. अखबार कहता है कि पाकिस्तान ने कश्मीर में बीएसएफ जवानों की मौत के मामले की साझा जांच की पेशकश की, लेकिन इसकी बात ही नहीं कर रहा है.

अखबार लिखता है कि विदेश मंत्रियों की मुलाकात रद्द करने के भारत के फैसले से दुनिया में पाकिस्तान की साख बेहतर होगी. क्योंकि पाकिस्तान आज शांति की तरफ खड़ा है और भारत शांति की कोशिशों को नाकाम बना रहा है.

रोजनामा ‘दुनिया’ ने अपने संपादकीय में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के इस ट्वीट को प्रमुखता दी है जिसमें उन्होंने भारतीय नेतृत्व की तुलना बड़े पदों पर बैठे छोटे लोगों से की है. अखबार लिखता है कि भारत में अगले साल अप्रैल या मई में चुनाव होने हैं, ऐसे में बीजेपी की सरकार पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर करके पाकिस्तान विरोधी अपने चुनावी नारे को छोड़ने को तैयार नहीं है. अखबार के मुताबिक, हो सकता है कि जैसे जैसे चुनाव नजदीक आएं, पाकिस्तान के साथ ऐसे बर्ताव को और बढ़ावा दिया जाए.

अखबार की राय में, पाकिस्तान को भारत के साथ बातचीत को लेकर बेताबी दिखाने की जरूरत नहीं है, बल्कि कोशिश की जाए कि भारत के हथकंडों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करें.

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