SATEESH SANGAM
धारा 498 A के तहत, महिलाओं ने माँगा सर्वोच्च न्यायालय से न्याय
महिला उत्पीड़न के मामले में, सर्वोच्च न्यायालय से मांग करते हुए महिलाओं ने प्रेस वार्ता के जरिए कहा कि 1265/2017 में पारित किये गये निर्णय के खिलाफ कोर्ट में विरोध दर्ज किया गया है कि यह निर्देश और तर्क, महिलाओं के मानवाधिकार को अस्वीकार करता हैं और उनकी न्याय में बाधित करता हैं।
लखनऊ के प्रेस क्लब में उपस्थित महिला अधिकारों पर काम करने वाली संगठन ने यह मांग करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत, राजेश शर्मा द्वारा 1265/2017 में पारित किये गये निर्णय की समीक्षा की जाये।
महिला संगठन का मानना हैं कि यह तथ्य महिला उत्पीड़न को पूरी तरह से अनदेखा करता है तथा दहेज के लिए प्रताड़ित व घरेलू हिंसा को बढ़ावा देता हैं।
आप को बता दे कि यह अधिनियम ( धारा 498 ए) महिलाओं की न्याय के लिए पारित किया गया हैं इस अधिनियम के अंतर्गत महिला दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, योनिक/ शारीरिक या मानसिक हिंसा का शिकार होना, स्वास्थ्य या उनके अधिकारों को नकारात्मक रुप से प्रभावित करना और अन्य बातें आती है जिसके अन्तर्गत महिलाओं के हित में पारित किया गया है
खासकर महिलाओं पर यह अन्याय शादी होने के बाद होता है जो अक्सर ससुराल वालों द्वारा किया जाता हैं।
प्रेस वार्ता में मौजूद विभिन्न संगठनों के सहयोग से AALI संगठन की अध्यक्ष खासकर ताहिरा हसन ,नीतू और रेनू मिश्रा ने आगे बात करते हुए कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो 2015 के अनुसार 113403 लाख हिंसा के मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए के तहत दायर हुए हैं लेकिन आरोप पत्र केवल 89% मामलों में दायर हुआ हैं।
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