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दबंग भूमाफियाओं व बिल्डरों का पार्टनर बना कानपुर विकास प्राधिकरण
केडीए अधिकारियों की मिली भगत से शहर में अवैध निर्माण चरम पर
विभागीय जिम्मेदारों की रहमों-करम पर चौतरफा बन रहीं अवैध बहुमंजिला इमारतें
बेस कीमती जमीनों पर गेस्ट हाउस, नर्सिंग होम, कालेज सहित बड़े-बड़े फ्लैट और अपार्टमेंट बनाकर काट रहे मलाई
कानपुर महानगर।भले ही उत्तरप्रदेश में सरकार बदल चुकी हो और सूबे का मुखिया सख्त नेतृत्त्व का प्रतीक! लेकिन सरकारी विभागों में बैठे जिम्मेदार अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाले| “गुंडाराज न भ्रष्टाचार, अबकी बार भाजपा सरकार” का नारा देने वाली बी0जे0पी0 सरकार की साख पर बट्टा लगाते कानपुर विकास प्राधिकरण के अफसरानों के कारनामों से आज कोई भी अनभिज्ञ नहीं है|
केडीए के अधिकारी कानपुर महानगर में दबंग बिल्डरों और भूमाफियों के पार्टनर के रूप में नजर आने लगे हैं| तभी तो शहर भर में बहुमंजिला इमारतों के अवैध निर्माण धड़ाधड़ जारी हैं|
कानपुर में चारों तरफ बन रही बहुमंजिला इमारतों को बिना मानक के बनते देखा जा सकता है| शहर में बन रहे बड़े-बड़े गेस्ट हाउस, नर्सिंग होम, कालेज,फ्लैट, अपार्टमेंट या छोटी-छोटी गलियों में ऊँची-ऊँची इमारतों का “ताना” जाना किसी से छिपा नहीं है| लेकिन विभागीय जिम्मेदार फिर भी नजर अंदाज करते हैं| कई-कई बार शिकायतों के बाद भी जिम्मेदार पद पर बैठे केडीए के अधिकारियों की कान में जूं तक नहीं रेंगता| जानकार बताते हैं कि ये अवैध निर्माण केडीए के जिम्मदारों की सरफरस्ती में किये जा रहे हैं| दबंग भू माफियाओं और बिल्डरों द्वारा बनाई जा रही इन अवैध बहुमंजिला इमारतों में बाकायदा इनका हिस्सा होता है, तभी तो ये चाहकर भी अपना मुँह नहीं खोल पाते|
सूत्र तो यहाँ तक बताते हैं कि होने वाले अवैध निर्माणों में कानपुर विकास प्राधिकरण पार्टनर की भूमिका अदा करता है|
विगत दिनों से चल रहे नारायणा इंजीनियरिंग कालेज मामले में केडीए अधिकारियों ने अपनी खूब थू-थू करायी| कब्जाई गई बेसकीमती जमीन पर शिक्षा माफिया इंजीनियरिंग कालेज चला रहा हैं जिसकी गूंज शासन प्रशासन तक गूंजी| इसी तरह शहर के बीचों-बीच कुली बाजार में 76/44 में मानक के विपरीत अवैध पाँच मंजिला अपार्टमेंट एक दबंग बिल्डर द्वारा बनाया जा रहा है| जिसकी शिकायत क्षेत्रीय लोग कई बार केडीए में कर चुके हैं| लेकिन इन भूमाफियाओं द्वारा चढ़ाई जाने वाली चढ़ौती के कारण विभाग के अधिकारियों ने सब ठंडे बस्ते में डाल दिया|
सोंचने वाली बात ये है कि आखिर भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना देश के प्रधानमंत्री कैसे सच कर सकेंगे जब सरकारी मशीनरी में ही छेद ही छेद हों|
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