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एटा के अनुपम गुप्ता ने अपने हुनर का लोहा मनवाया है. उन्होंने चलता फिरता अस्पताल बनाकर अपने विजन को साकार किया है.
उनकी इस कामयाबी को देखकर बिहार सरकार ने 37 मोबाइल अस्पताल मंगवाकर मरीजों को सुविधाएं देने लगी है. हालांकि यूपी सरकार का ध्यान न देने से लोगो मे मायूसी छाई हुई है.
उनकी इस कामयाबी को देखकर बिहार सरकार ने 37 मोबाइल अस्पताल मंगवाकर मरीजों को सुविधाएं देने लगी है. हालांकि यूपी सरकार का ध्यान न देने से लोगो मे मायूसी छाई हुई है.
अनुपम गुप्ता ने शाहजहांपुर से पालीटेक्निक किया. इसके बाद उन्होंने बस के अन्दर चलता फिरता अस्पताल बनाया. इस अस्पताल में सांस रोगी, हृदय रोगी के अलावा कैंसर रोगियों तक का इलाज किया जा रहा है. डाक्टरों के अलावा सारे संसाधनों से युक्त इस अस्पताल में उन मरीजो का इलाज हो पाएगा, जो पिछड़े और ग्रामीण अंचलो मे रहते हैं.
दरअसल एटा के रहने वाले अनुपम ने वल्र्ड बैंक के जरिये एंजल मैनुफैक्चरिंग कम्पनी के जरिये इस मोबाईल हास्पिटल का निर्माण किया है. 1 करोड़ 42 लाख मे तैयार यह मोबाइल हॉस्पिटल सोलर लाईट से चलती है.
इस अस्पताल की खासियत देखते हुए बिहार सरकार 37 मोबाइल अस्पताल मंगवाकर करीब 7 लाख मरीजों को लाभ दे चुकी है.
अनुपम कहते हैं कि भारत गांव मे बसता है. गामीण अंचलों में इलाज न मिलने से हजारों मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं. चलते-फिरते अस्पताल ग्रामीण अंचलों मे पहुंचकर न केवल ग्रामीणों को स्वस्थ बनाएंगे. बल्कि असाध्य रोगियो का इलाज कर उनकी जिन्दगी भी बचाएंगे. उन्होंने बताया कि इटली, जर्मनी मे चलने वाले ऐसे मोबाइल हास्पिटल की बेहद मांग है. यूपी मे भी इसकी जरूरत है.
https://www.youtube.com/watch?v=eBIyfSqbc0o
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