BRIJENDRA BAHADUR MAURYA———–
बलि प्रेक्षागृह में मंच पर आयेगी चुमरिया गांव के “चम्पा की चाह” की कथा
ये है चम्पा कली, ये चम्पा कली
अल्हड़ छोटी बड़ी निगोड़ी
देखो रे देखो यहां खड़ी
सिकड़ी खेले कंचा पीटे
बात बात पर सबसे लड़ी
ये है चम्पा कली, ये चम्पा कली
ये संवाद है नवसृजित नाटक “चम्पा की चाह” की
आज कल एसएनए में इसकी रिहर्सल चल रही है। दर्शक ये नाटक 14 अगस्त की शाम 6.45 बजे
से देख सकते हैं। सृजन शक्ति वेलफेयर सोसायटी की ओर से हो रहे नाटक के लेखक व
निर्देशक गोपाल मिश्र हैं। चम्पा की कहानी को रंगकर्मी सीमा मोदी अपने अभिनय से जीवंत करेंगी। नाटक
की कहानी लखनऊ से सुल्तानपुर रोड जाने वाले मुख्य सड़क से 55 किलोमीटर दूर बायें हाथ
करीब 2 किलोमीटर दूर बसे गांव चुमरिया की।
नाटक की नायिका “चम्पा” की भूमिका निभा रही सीमा मोदी कहती हैं कि गोपाल मिश्र ने यूं तो
कई नाटक लिखे व निर्देशित किये हैं किंतु ये नाटक बिल्कुल नए अंदाज और नये तरीके
से लिखा है। मसलन नाटक की नायिका चम्पा की अल्हड़ उम्र में अपने से 15 साल बड़े
अधेड़ उम्र के जिसे 2 बच्चे पहले से हाते हैं शादी हो जाती है और उसके बाद गांव का
और उसके गृहस्थी का माहौल जिस तरह से वर्णन कर प्रस्तुत किया जाता है वो देखने
लायक है। सीमा बताती हैं कि इस नाटक से हरेक उम्र के लोग, खासकर गांव के मिट्टी से जुड़े लोग
खुद को इससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगें। एक नये अंदाज में प्रस्तुत नाटक “चम्पा की चाह” में
लगभग 20 कलाकार हिस्सा ले रहे हैं। इस कहानी के द्वारा स्वच्छता अभियान, बेटे भी पढ़ाओ जैसे मिशन को दिखाया जा रहा है।